
इस प्लांट की वार्षिक उत्पादन क्षमता 33,000 यूनिट्स की होगी। इसमें न केवल इलेक्ट्रिक बसों का निर्माण किया जाएगा, बल्कि बस बॉडी, बैटरी, मोटर, वायर हार्नेस और स्पेयर पार्ट्स का उत्पादन भी इसी यूनिट में किया जाएगा। परियोजना से राज्य में 500 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई गई है।
राज्य सरकार द्वारा आयोजित राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट में इस कंपनी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। इसके तहत ई-ऑक्शन के माध्यम से 208 करोड़ रुपये में 65.56 एकड़ जमीन आवंटित की गई। यह यूनिट उन क्षेत्रों में स्थापित हो रही है, जहां पहले से ही जापानी और कोरियाई कंपनियों का निवेश मौजूद है, जिससे यह क्षेत्र औद्योगिक विकास का हॉटस्पॉट बन चुका है।
कंपनी की योजना है कि पहले वर्ष में 40% उत्पादन क्षमता के साथ काम शुरू किया जाएगा। प्लांट में हर साल 15,000 ईवी बसें, 6000 मीडियम कमर्शियल वाहन, और 12,000 लाइट कमर्शियल वाहन तैयार किए जाएंगे। शुरुआती वर्ष में कंपनी का अनुमानित टर्नओवर 6180 करोड़ रुपये रहेगा, जो अगले छह वर्षों में बढ़कर 15,450 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।