
सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अपनी पेंशन या PPO के लिए महीनों इंतजार न करना पड़े। इसके लिए सरकार ने डिजिटलाइजेशन और e-HRMS (इलेक्ट्रॉनिक ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम) को अनिवार्य रूप से अपनाने की दिशा में भी कदम उठाए हैं। इससे प्रत्येक कर्मचारी का वेरिफाइड सर्विस रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और त्वरित हो सकेगी।
क्या है PPO?
PPO यानी पेंशन पेमेंट ऑर्डर एक 12 अंकों का यूनिक नंबर होता है, जो हर पेंशनभोगी को अलॉट किया जाता है। यह दस्तावेज पेंशन की प्रक्रिया में बेहद अहम होता है और इसमें कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से जुड़ी सारी जरूरी जानकारियां होती हैं। PPO नंबर के बिना पेंशन शुरू नहीं हो सकती और PF खातों के ट्रांसफर में भी दिक्कतें आती हैं।
नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब किसी कर्मचारी की पेंशन केवल इसलिए नहीं रोकी जाएगी कि उसकी विजिलेंस क्लियरेंस लंबित है। अगर किसी पर विभागीय या न्यायिक जांच चल रही है, तो उसे प्रोविजनल पेंशन प्रदान की जाएगी। हालांकि, ग्रेच्युटी की राशि जांच पूरी होने तक रोकी जा सकती है। यह कदम पेंशन प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
साथ ही, सरकार ने यह भी तय किया है कि भविष्य पोर्टल (Bhavishya Portal) का उपयोग अनिवार्य होगा। यह पोर्टल रीयल टाइम में पेंशन मामलों की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि PPO समय पर तैयार हो। वर्तमान में 10,000 से अधिक DDOs (Drawing and Disbursing Officers) इस पोर्टल से जुड़े हैं।
इसके अतिरिक्त, हर मंत्रालय और विभाग में एक नोडल ओवरसाइट कमेटी और एक हाई-लेवल ओवरसाइट कमेटी (HLOC) का गठन किया जाएगा, जो हर दो महीने में पेंशन से जुड़े लंबित मामलों की समीक्षा करेगी और उसकी प्रगति पर रिपोर्ट तैयार करेगी।