Delhi UER-2 पर 235 रुपये के टोल का लगातार बढ़ रहा विरोध, अब महापंचायत करेगी ये फैसला

Delhi UER-2: शहरी विस्तार मार्ग-2 (यूईआर-2) पर मुंडका-बकरवाला टोल का विरोध जोर पकड़ता जा रहा है। क्षेत्र के सांसदों और विधायकों की ओर से इस मुद्दे को उठाए जाने के नौ दिन बाद खाप पंचायतों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा से मुलाकात की और टोल हटाने की मांग की। हालांकि बातचीत को "सकारात्मक" बताया गया है। लेकिन, अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। प्रतिनिधिमंडल अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात करेगा और टोल हटाने की मांग करेगा।
जब तक टोल नहीं हटेगा, तब तक जारी रहेगा आंदोलन
खबरों की मानें, तो इसी बीच पालम 360 खाप और अन्य संगठनों ने रविवार को बिंदापुर में होने वाली महापंचायत की तैयारी पूरी कर ली है, जहां एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा की घोषणा की जाएगी। खाप प्रमुख सुरेंद्र सिंह सोलंकी ने दावा किया कि दिल्ली के ग्रामीण इलाकों के निवासियों के साथ-साथ राजधानी भर की आरडब्ल्यूए भी इसमें शामिल होंगी। उन्होंने कहा, "जब तक टोल नहीं हटता, आंदोलन जारी रहेगा।"। वहीं शनिवार को खाप नेताओं ने परिवहन भवन में हर्ष मल्होत्रा को एक ज्ञापन सौंपा है।
दिन भर जारी रहा आंदोलन
खबरों की मानें, तो सोलंकी ने कहा कि अभी तक स्थायी समाधान होना बाकी है। बिंदापुर महापंचायत में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए दिन भर जन-आंदोलन जारी रहा। नजफगढ़ जाट भवन में हुई एक बैठक में ओम प्रकाश सहरावत, राव त्रिभुवन सिंह और प्रीतम डागर सहित कई स्थानीय नेताओं ने भी समर्थन दियाटोल का विरोध सिर्फ ग्रामीण दिल्ली ही नहीं कर रही है।
152 सोसायटियों का करेंगे प्रतिनिधित्व
रोहिणी, पीतमपुरा, शालीमार बाग और अशोक विहार के निवासी, जिनमें से कई द्वारका, गुरुग्राम और हवाई अड्डे की ओर जाने के लिए यूईआर-2 का इस्तेमाल करते हैं, उन्होंने भी अपनी नाराजगी जताई है। 152 सोसायटियों का प्रतिनिधित्व करने वाली रोहिणी फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज ने टोल वसूली को "अनुचित" और दिल्ली की सीमा में अभूतपूर्व बताया है।
235 रुपये टोल पड़ रहा लोगों को भारी
निवासियों का तर्क है कि शहर में भीड़भाड़ कम करने के लिए यूईआर-2 बनाया गया है। अगर 235 रुपये के भारी टोल के कारण लोगों से बचने की कोशिश करेगा, तो अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाएगा। वहीं जाट समाज एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष राकेश सहरावत ने पूछा कि अगर लोग टोल से बचने के लिए पुराने रास्तों पर लौट जाएंगे, तो यातायात का दबाव कैसे कम होगा?"