Haryana : हरियाणा को इस योजना के तहत मिलेंगी 450 ई-बसें, जानें क्या है सरकार का मास्टर प्लान

Haryana : देश को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में केंद्र सरकार ने 'पीएम-ई-बस सेवा योजना' शुरू की है। इस योजना के तहत सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रियायती दरों पर 10 हज़ार इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध कराने का फैसला किया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत हरियाणा को 450 ई-बसें स्वीकृत की गई हैं।
100 बसें केवल गुरुग्राम जिले को आवंटित
जानकारी के अनुसार इनमें से 100 बसें अकेले गुरुग्राम जिले को आवंटित होंगी। यह निर्णय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने, सार्वजनिक परिवहन को सशक्त बनाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है। केंद्र की यह पहल न सिर्फ़ प्रदूषण नियंत्रण में मदद करेगी, बल्कि लोगों को किफायती, आरामदायक और आधुनिक यातायात सुविधा भी प्रदान करेगी।
केंद्रीय शहरी विकास, आवास एवं उर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसकी पुष्टि की है। दरअसल, केंद्र ने अगस्त-2023 में इस योजना की शुरूआत की थी।
योजना को देशभर में किया लागू
इस योजना को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ देशभर में लागू किया जा रहा है। अहम बात यह है कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत बसों का संचालन होगा। केंद्र द्वारा तय शर्तों के तहत 12 मीटर लंबी स्टैंडर्ड बस के लिए 24 रुपये प्रति किमी, 9 मीटर मिडी बस के लिए 22 रुपये तथा 7 मीटर मिनी बस के लिए 20 रुपये प्रति किलोमीटर की केंद्रीय सहायता तय की है।
हरियाणा को मिला 450 बसों का कोटा
इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशन, बस डिपो और अन्य नागरिक ढांचे के निर्माण पर भी केंद्र की ओर से 100 प्रतिशत तक की मदद दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि योजना के तहत हरियाणा को 450 बसों का कोटा मिला है। इनमें से गुरुग्राम को 100 इलेक्ट्रिक बसें दी जाएंगी। गुरुग्राम को इसलिए प्राथमिकता दी गई है क्योंकि यहां दिल्ली से सटे क्षेत्रों में वाहनों की संख्या सबसे अधिक है और वायु प्रदूषण भी लगातार चिंता का विषय रहा है।
इस वजह बसों की डिलीवरी अटकी
आपको बता दें कि इस योजना की घोषणा को दो साल बीत चुके हैं, लेकिन गुरुग्राम में 100 ई-बसों का संचालन अब तक शुरू नहीं हो पाया है। सूत्रों के अनुसार, राज्य परिवहन विभाग और निजी ऑपरेटर के बीच अनुबंध पूरा न होने की वजह से बसों की डिलीवरी अटक गई है। बताते हैं कि अब राज्य सरकार इस परियोजना को लेकर गंभीर हो गई है। जल्द ही इसे सिरे चढ़ाया जाएगा ताकि हरियाणा को उसके हिस्से की सभी बसें मिल सकें।
रोजगार के खुलेंगे नए अवसर
विश्व संसाधन संस्थान का अनुमान है कि यह योजना देशभर में 45 से 55 हजार नए रोजगार पैदा कर सकती है। वहीं, इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन की रिपोर्ट बताती है कि अब तक चल रही 3,800 से ज्यादा ई-बसों से करीब 1,200 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड और 700 टन कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। इसका सीधा असर आम जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ेगा।