Haryana News: हरियाणा में साइकिल से बनेगी बिजली, इस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने की शानदार खोज, जानें पूरी डिटेल

जानकारी के मुताबिक, विद्यार्थियों ने एक ऐसी एक्सरसाइज साइकिल बनाई है, जिसके पैडल मारते ही बिजली बनेगी। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व कुलसचिव डॉ विजय कुमार ने इस आविष्कार के लिए विद्यार्थियों तथा उनके सुपरवाइजर डा. विजय पाल सिंह को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि इस आविष्कार से न केवल सेहत सुधारने में लाभ मिलेगा, साथ ही बिजली की कमी भी पूरी होगी। यह खोज पर्यावरण संरक्षण में भी उपयोगी होगी।
इस अविष्कार के सुपरवाइजर तथा इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (ईईई) विभाग के डा. विजय पाल सिंह ने बताया कि बीएससी योगा साइंस और थेरेपी के छात्र कार्निक सिंह इसकी अगुवाई कर रहे हैं, जिन्होंने यह आइडिया दिया। उनके साथ हैं इसी कोर्स से विशाल मानहास और बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (ईसीई) के मोहित शामिल हैं। पलविंदर सिंह ने अल्टरनेटर को साइकिल के ढांचे के साथ वेल्डिंग और जोड़ने में तकनीकी मदद दी, जिससे यह प्रोटोटाइप मजबूत बना।
इस साइकिल में पुरानी कार का अल्टरनेटर लगाया गया है, जो पेडल चलाने से बिजली पैदा करता है। यह बिजली बैटरी में जमा होती है, जिससे एक छोटा पंखा चलता है जो व्यायाम के दौरान ठंडी हवा देता है। इतना ही नहीं, यह बिजली कंप्यूटर के लिए यूपीएस बैटरी भी चार्ज कर सकती है। जिम में कई ऐसी साइकिलें मिलकर वहां के इनवर्टर को भी चार्ज कर सकती हैं।
साइकिल से बिजली: कैसे होता है यह कमाल?
इस प्रोजेक्ट में एक आम एक्सरसाइज साइकिल में कार का अल्टरनेटर पहिए से जोड़ा गया है। जब कोई पेडल मारता है, तो अल्टरनेटर का रोटर घूमकर बिजली बनाता है। यह बिजली बैटरी में जमा हो जाती है और तुरंत एक छोटा पंखा चला सकती है, जो गर्मी में ठंडी हवा देता है। यह सस्ता और आसान तरीका है, क्योंकि इसमें पुरानी कार के पुर्जे इस्तेमाल किए गए हैं। यह बिजली यूपीएस चार्ज कर सकती है, जो बिजली कटने पर कंप्यूटर चलाने में मदद करता है। जिम में कई साइकिलें मिलकर वहां की बिजली का खर्च बचा सकती हैं। कार्निक सिंह ने बताया कि एक्सरसाइज साइकिल पर एक्सरसाइज करते वक्त मुझे ख्याल आया कि साइकिलिंग से बिजली बन सकती है। डॉ. सिंह की मदद से हमने इसे सच कर दिखाया।
एक घंटे में बनेगी इतनी बिजली
एक घंटे की साइकिलिंग से 50-150 वाट बिजली बनती है, जो पंखे या बैटरी चार्ज करने के लिए काफी है। दुनियाभर के शोध बताते हैं कि ऐसी मशीनें 100 वाट-घंटे तक बिजली दे सकती हैं। जिम में ये साइकिलें बिजली बचाने का नया तरीका बन सकती हैं, जैसे लाइट या पंखे चलाने के लिए। गांवों में जहां बिजली बार-बार जाती है, यह मोबाइल, एलईडी बल्ब या छोटे पंप चार्ज कर सकती है। आपदा वाले इलाकों में यह रेडियो या मेडिकल उपकरण चला सकती है। स्कूलों में बच्चे इसे चलाकर प्रोजेक्टर या कंप्यूटर के लिए बिजली बना सकते हैं। सोलर पैनल के साथ मिलकर यह घरों या खेतों में बिजली दे सकती है, जैसे पानी के छोटे पंप या वाई-फाई के लिए। शहरों में यह 'पेडल से चलने वाला वर्कस्टेशन' बन सकता है, जहां लोग काम के साथ बिजली बनाएं।
जिम से लेकर गाँव तक ला सकता है बदलाव
डॉ. सिंह ने कहा कि यह योग, तकनीक और हरी ऊर्जा का शानदार मेल है। प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने तारीफ की, यह साइकिल नई सोच का प्रतीक है, जो बिजली बचाने के साथ सेहत को भी बढ़ावा देती है। डा. विजय कुमार ने कहा कि यह सस्ता तरीका जिम से लेकर गांवों तक बदलाव ला सकता है।
2070 तक भारत के नेट-जीरो लक्ष्य में यह प्रोजेक्ट अहम हो सकता है। प्रदर्शनियों और बिजनेस की संभावना के साथ, यह देशभर में प्रेरणा देगा। इसीलिए प्रो. बिश्नोई ने कहा कि यह एक पेडल से उज्ज्वल भविष्य की शुरुआत है।