
IAS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाना देश के सबसे कठिन और प्रतिष्ठित उपलब्धियों में से एक माना जाता है। हर साल हजारों युवा इस परीक्षा में अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रयास करते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही इसे पार कर पाते हैं।
आज हम एक ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी की बात कर रहे हैं, जो संघर्ष, समर्पण और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। यह कहानी है उत्तराखंड की रहने वाली मुद्रा गैरोला की, जिन्होंने न केवल अपने पिता का अधूरा सपना पूरा किया, बल्कि लगातार प्रयास कर दो बार UPSC परीक्षा पास कर एक मिसाल कायम की।
उत्तराखंड के चमोली जिले के कर्णप्रयाग की रहने वाली मुद्रा गैरोला का शैक्षणिक जीवन शुरू से ही शानदार रहा है। 10वीं कक्षा में उन्होंने 96% और 12वीं बोर्ड परीक्षा में 97% अंक हासिल किए थे। इसके बाद उन्होंने मुंबई के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में बीडीएस (डेंटल) में दाखिला लिया और वहां भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता। ग्रेजुएशन के बाद मुद्रा दिल्ली आईं और एमडीएस में दाखिला लिया। हालांकि, उनका करियर मेडिकल से शुरू हुआ था, लेकिन उन्होंने पिता के सपने को साकार करने के लिए सिविल सेवा की राह चुनी।
मुद्रा के पिता अरुण गैरोला ने वर्ष 1973 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा दी थी, लेकिन इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बावजूद वह चयनित नहीं हो सके। उनका यह अधूरा सपना उनकी बेटी ने 50 साल बाद पूरा किया। अपने पिता की ख्वाहिश को अपना लक्ष्य बनाते हुए मुद्रा ने UPSC की तैयारी शुरू की। यह सफर आसान नहीं था। उन्हें कई बार असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
2018 में उन्होंने पहली बार UPSC परीक्षा दी और इंटरव्यू राउंड तक पहुंचीं, लेकिन अंतिम चयन नहीं हुआ। 2019 में फिर से प्रयास किया, लेकिन परिणाम फिर निराशाजनक रहा। 2020 में वह मेन्स परीक्षा पास नहीं कर पाईं। इन तीन असफलताओं के बावजूद उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और 2021 में एक बार फिर परीक्षा दी। इस बार उन्हें 165वीं रैंक मिली और वह भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयनित हुईं।
हालांकि उन्होंने यह उपलब्धि हासिल कर ली थी, लेकिन उनका लक्ष्य अभी भी अधूरा था — वह अपने पिता का सपना पूरी तरह से साकार करना चाहती थीं। इसी जुनून के साथ उन्होंने 2022 में पांचवीं बार UPSC परीक्षा दी और इस बार 53वीं रैंक के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुईं।
मुद्रा गैरोला की यह कहानी न केवल युवाओं को संघर्ष के बाद सफलता पाने की प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि यदि इरादे मजबूत हों और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कोई भी बाधा रास्ते में टिक नहीं सकती।