यूपी से हरियाणा तक सीधी कनेक्टिविटी
इस एक्सप्रेसवे का मकसद पूर्वी उत्तर प्रदेश को हरियाणा जैसे औद्योगिक रूप से समृद्ध राज्य से सीधे जोड़ना है। अधिकारियों के मुताबिक, पानीपत में कपड़ा, लकड़ी-फर्नीचर, कृषि और कागज़ उद्योगों की 4000 से अधिक इकाइयां हैं, जिनमें बड़ी संख्या में यूपी के मजदूर काम करते हैं। नए एक्सप्रेसवे के जरिए दोनों राज्यों के बीच व्यापार, परिवहन और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी।
2026 में शुरू होगा निर्माण कार्य
एनएचएआई अधिकारियों के अनुसार, एक्सप्रेसवे का काम 2026 में शुरू होने की संभावना है। परियोजना में चार से छह लेन की सड़क बनाई जाएगी, जिसे आगे चलकर आठ लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा। यह एक्सप्रेसवे राज्य के कई प्रमुख जिलों सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, लखनऊ, सीतापुर, मेरठ, अमरोहा, बरेली और मुरादाबाद से होकर गुजरेगा। इसका अधिकांश हिस्सा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के रूप में तैयार किया जाएगा।
दुर्घटनाओं में आएगी कमी
एनएचएआई के उप महाप्रबंधक अंकित वर्मा ने बताया कि नियंत्रित प्रवेश वाले एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम होती है। वाहनों का अनधिकृत प्रवेश रोके जाने से सड़क सुरक्षा में बड़ा सुधार होगा।
उद्योग और पर्यटन को नई दिशा
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के बीच औद्योगिक और व्यापारिक संतुलन लाने में मदद करेगा। सिद्धार्थनगर के प्रसिद्ध काला नमक चावल, लखनऊ के चिकनकारी उत्पाद, और बरेली के बांस-लकड़ी उद्योग जैसे ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) क्षेत्रों को नए बाजारों तक पहुंचने में आसानी होगी।
भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय पहलू
डीपीआर में सड़क का संरेखण, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी शर्तें शामिल होंगी। अधिकारियों के अनुसार, पेड़ों की न्यूनतम कटाई, यात्रियों की संख्या, और प्रमुख सड़कों के जुड़ाव जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में एनएचएआई की मदद करेगी।
