Hydrogen Train: हरियाणा में जींद और सोनीपत के बीच दौड़ेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, देखें कैसी होगी, सामने आई पहली झलक

 
India first hydrogen train will run between Jind and Sonipat in Haryana
Hydrogen Train: भारत में पहली बार हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन अपने फाइनल स्टेज में है, जो अत्याधुनिक तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार का प्रदर्शन करेगी। रेल मंत्रालय हाल ही में ऐलान किया है कि चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) ने इस हफ्ते की शुरुआत में देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ड्राइविंग पावर कार का सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया है, जो परिचालन तैनाती की दिशा में एक बड़ा कदम है।

दरअसल, भारतीय रेलवे को हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनों के साथ प्रयोग करने वाले चुनिंदा देशों के समूह के साथ खड़ा करती है, जिनमें से अधिकांश अभी भी परीक्षण के चरण में हैं। हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और अपने परिचालन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की भारतीय रेलवे की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवाश्म ईंधन से हाइड्रोजन, जो एक स्वच्छ विकल्प है, की ओर रुख करके, रेलवे का लक्ष्य अपने कार्बन उत्सर्जन और आयातित ईंधन पर निर्भरता को कम करना है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि परियोजना अब अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुकी है और ट्रेन को व्यावसायिक सेवा में लाने से पहले उपकरणों का व्यापक परीक्षण चल रहा है।

2600 यात्री एक बार में कर सकेंगे सफर

खबरों की मानें, तो उत्तर रेलवे जोन की ओर से 2020-21 में शुरू की गई इस परियोजना में दो मुख्य घटक शामिल हैं  दो पारंपरिक 1600 एचपी डीजल पावर कारों को हाइड्रोजन ईंधन सेल-संचालित ट्रैक्शन सिस्टम में परिवर्तित करना और हरियाणा के जींद में एक हाइड्रोजन भंडारण और ईंधन भरने की सुविधा की स्थापना है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 136 करोड़ रुपये है, जिसमें रिसर्च डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) प्राथमिक डिज़ाइन, सत्यापन और परीक्षण का कार्य संभालेगा। यह  ट्रेन 10 डिब्बों वाली डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) होगी, जो 2,600 से ज्यादा बैठ सकेंगे। 

जींद और सोनीपत के बीच चलेगी

इसे हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच चलाने की योजना है, जो प्रतिदिन 356 किलोमीटर की दो चक्कर पूरी करेगी। जींद में हाइड्रोजन भंडारण सुविधा की कुल क्षमता 3,000 किलोग्राम होगी। प्रत्येक पावर कार विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सिलेंडरों में 220 किलोग्राम हाइड्रोजन ले जाएगी, जिनका दाब 350 बार होगा। यह प्रणाली ईंधन कोशिकाओं के माध्यम से ट्रैक्शन मोटर्स को शक्ति प्रदान करेगी, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बिजली उत्पन्न करती हैं और उप-उत्पाद के रूप में केवल जल वाष्प उत्सर्जित करती हैं।