सरकार के पास फिलहाल 10 नए जिलों के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं असंध, पटौदी, डबवाली, हांसी और गोहाना। सूत्रों का कहना है कि इनमें से किसी एक क्षेत्र विशेष रूप से गोहाना, हांसी या डबवाली को पहले जिला बनाया जा सकता है। बाकी प्रस्तावों पर फैसला आगामी जनगणना के बाद लिया जाएगा। पुनर्गठन उप-समिति को अब तक कुल 73 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें 10 नए जिलों, 14 उपमंडलों, 4 तहसीलों और 27 उप-तहसीलों के गठन से संबंधित सुझाव शामिल हैं।
प्रस्तावों की समीक्षा के दौरान समिति ने नए जिले के गठन के लिए कुछ मानक तय किए हैं। किसी भी क्षेत्र को जिला घोषित करने के लिए उसमें 125 से 200 गांव, 4 लाख से अधिक आबादी और 80 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल होना अनिवार्य है। समिति ने उपमंडल, तहसील और उप-तहसील के लिए भी अलग-अलग मानदंड निर्धारित किए हैं ताकि प्रशासनिक ढांचे को अधिक संतुलित बनाया जा सके।
हाल ही में हुई पुनर्गठन उप-समिति की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने की। बैठक में शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा और कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा भी मौजूद रहे। समिति द्वारा स्वीकृत सभी प्रस्ताव अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के अनुमोदन के लिए भेजे जाएंगे। मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि सरकार जनता और जनप्रतिनिधियों की मांगों के अनुरूप प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना था कि नए जिले बनने से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी और आम लोगों को सरकारी सेवाएं अधिक आसानी से उपलब्ध होंगी।
हरियाणा का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था। उस समय राज्य में केवल 7 जिले थे — अंबाला, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, करनाल और रोहतक। बाद के वर्षों में प्रशासनिक जरूरतों और जनसंख्या वृद्धि के आधार पर कई नए जिले बनाए गए। वर्ष 1972 में भिवानी और सोनीपत, 1973 में कुरुक्षेत्र, 1975 में सिरसा, 1979 में फरीदाबाद, 1989 में यमुनानगर, कैथल, रेवाड़ी और पानीपत, 1995 में पंचकूला, 1996 में फतेहाबाद, 1997 में झज्जर, 2005 में नूंह, 2008 में पलवल और 2016 में चरखी दादरी जिला बनाया गया। वर्तमान में राज्य में 22 जिले हैं। यदि नया जिला घोषित होता है, तो यह संख्या बढ़कर 23 हो जाएगी।
