हरियाणा पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी को मिला चेयरमैन और सदस्य, देखें सरकार की तरफ से जारी आदेश

हरियाणा पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी को रिटायर्ड आईपीएस आरसी मिश्रा के रूप में नया चेयरमैन मिल गया है तो रिटायर्ड आईएएस ललित सिवाच के रूप में सदस्य मिला है। इन दोनों ही नियुक्तियों में सरकार ने ‘संघ’ व ‘काम’ दोनों का ध्यान रखा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सेवानिवृत्त आईपीएस-आईएएस की यह नवनियुक्त जोड़ी अथॉरिटी में किस तरह से शिकायतों की सुनवाई करती है।
मिश्रा प्रदेश के डीजीपी बनने में शत्रुजीत कपूर से पिछड़ गए थे। इनकी पत्नी डॉ अर्चना मिश्रा सोनीपत स्थित डॉ बीआर अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की वीसी रह चुकी हैं। बताया जाता है कि इन पर शुरू से ही आरएसएस का आशीर्वाद बना रहा है और अब खुद को रिटायरमेंट के बाद फिर से एडजस्ट कराने में कामयाब हो गए हैं। वहीं, ललित सिवाच का सोनीपत में डीसी रहना उनकी नियुक्ति में अहम रोल निभा गया। सिवाच को सोनीपत का डीसी उस समय तैनात किया गया था, जब किसान आंदोलन चल रहा था। सिंघु बॉर्डर पर पक्का मोर्चा लगा हुआ था और सरकार का कोई भी नेता सोनीपत आने से कतराने लगा था। राज्य सरकार उस समय को बेहद क्रिटिकल मान कर चल रही थी। लेकिन, सिवाच अपनी सूझबूझ से किसान आंदोलन के दौरान ही राज्य सरकार के कई सफल कार्यक्रम सोनीपत जिले में कराने में कामयाब हो गए।
सिवाच एक तरह से सोनीपत जिले के लोगों का प्रदेश सरकार के प्रति भरोसा बनाने में कामयाब रहे। इनके संकटमोचक बनने की चर्चाएं कितनी ही बार सरकार के बड़े नुमाइंदे जिलों के डीसी व अन्य सीनियर आईएएस की बैठक में भी करते रहे हैं। विदित रहे कि हरियाणा पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था। अथॉरिटी डीजी स्तर के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आने वाले शिकायतों पर भी सुनवाई कर सकती है। अथॉरिटी में पुलिस के खिलाफ आने वाली शिकायतों में दुष्कर्म या दुष्कर्म की कोशिश, पुलिस हिरासत में मृत्यु, गंभीर चोट, बिना कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में रखना, जबरदस्ती वसूली करना, किसी की जायदाद को हड़पना, पुलिस कर्मचारी का संगठित अपराध में शामिल होना, दस साल या इससे ज्यादा सजा वाले अपराध में पुलिस द्वारा कार्रवाई न करना शामिल है।
इसके अलावा अथॉरिटी मीडिया रिपोर्ट व अन्य संचार माध्यमों से आ रही रिपोर्ट के आधार पर भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वत: संज्ञान भी ले सकती है। हालांकि, अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जाती। डीएसपी स्तर के अधिकारी को अथॉरिटी की तरफ से जांच के लिए तैनात किया जाता है, जबकि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की शिकायत पर जांच अथॉरिटी के सदस्य खुद करते हैं।
- अजय दीप लाठर, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक हैं।