Haryana: आगरा ही नहीं, हरियाणा के इस शहर में भी है एक ताजमहल, जाने इसका इतिहास

 
Haryana: आगरा ही नहीं, हरियाणा के इस शहर में भी है एक ताजमहल, जाने इसका इतिहास

Haryana: क्या आपको भी पता है की आगरा ही नहीं, हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर शहर में स्थित शेख चिल्ली का मकबरा एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल है। इसकी बनावट और स्थापत्य कला इतनी सुंदर है कि इसे अक्सर "हरियाणा का ताजमहल" कहा जाता है। मकबरे के निर्माण में प्रयुक्त पत्थर और स्थापत्य शैली आगरा के ताजमहल से मिलती-जुलती मानी जाती है। Taj Mahal in Haryana

जानकारी के मुताबिक, इस मकबरे का निर्माण मुगल राजकुमार दाराशिकोह ने प्रसिद्ध सूफी संत शेख चिल्ली की याद में करवाया था। इसका निर्माण कार्य लगभग 1650 ई. के आसपास पूरा हुआ। दाराशिकोह, जो बादशाह शाहजहाँ का बड़ा बेटा था, शेख चिल्ली को अपना आध्यात्मिक गुरु मानता था। यह मकबरा उसकी श्रद्धा और सूफी परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक है। मकबरा हर्ष के टीले के पूर्वी किनारे पर स्थित है, जो स्वयं एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल रहा है। Taj Mahal in Haryana

इतिहासकारों के अनुसार, शेख चिल्ली मूल रूप से ईरान से आए थे और भारत आकर उन्होंने कुरुक्षेत्र में जलालुद्दीन साहब साबरी से भेंट की। जलालुद्दीन की आध्यात्मिक प्रसिद्धि से प्रभावित होकर शेख चिल्ली ने यहीं रहना प्रारंभ कर दिया और यहीं उनका जीवन भी समाप्त हुआ। उनकी मृत्यु के बाद, उनके शिष्य ने उनकी याद में इस भव्य मकबरे का निर्माण करवाया। Taj Mahal in Haryana

जानकारी के मुताबिक, समय के साथ यह ऐतिहासिक स्थल गुमनामी की ओर बढ़ने लगा, लेकिन बाद में इसे भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) द्वारा संरक्षित किया गया। विभाग ने इसकी मरम्मत और संरक्षण का कार्य कर इसे दोबारा जीवित किया। आज यह न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए भी अध्ययन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है। Taj Mahal in Haryana

मिली जानकारी के अनुसार, शेख चिल्ली का मकबरा हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इसकी अद्वितीय मुग़ल शैली की वास्तुकला, सुंदर नक़्क़ाशी, और धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व इसे एक अनमोल ऐतिहासिक धरोहर बनाते हैं।

घूमने की सलाह Taj Mahal in Haryana

स्थान: थानेसर, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
प्रसिद्धि: मुग़ल स्थापत्य, सूफी विरासत, पुरातत्वीय महत्व
खुलने का समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
प्रवेश: पुरातत्व विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार