सरकारी दफ्तरों की झंझट खत्म
अब तक हाई-रिस्क बिल्डिंग जैसे होटल, मॉल या मल्टीस्टोरी कॉम्प्लेक्स के मालिकों को फाइलों की मंजूरी के लिए विभागों में महीनों चक्कर लगाने पड़ते थे। नई व्यवस्था के तहत प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी।
सीनियर आर्किटेक्ट करेंगे जांच और जारी करेंगे प्रमाणपत्र
राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत अनुभवी आर्किटेक्ट या इंजीनियर अब साइट पर जाकर यह जांच करेंगे कि निर्माण कार्य भवन कोड के अनुरूप हुआ है या नहीं। अगर सब कुछ सही पाया गया तो वे सीधे ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट जारी कर सकेंगे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई विशेषज्ञ गलत रिपोर्ट देगा या मालिक गड़बड़ी करेगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें पंजीकरण रद्द करना, जुर्माना या भविष्य में प्रतिबंध जैसी सजा शामिल होगी।
गरीबों के लिए भी नई व्यवस्था
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के मकानों के लिए अब बाथरूम और शौचालय का न्यूनतम आकार तय कर दिया गया है। इसका उद्देश्य गरीब परिवारों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं देना है।
इसके साथ ही ग्रीन बिल्डिंग्स को अब पर्यावरण मंजूरी से छूट नहीं मिलेगी। हर नए निर्माण को पर्यावरण नियमों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।
उद्योगों और शिक्षण संस्थानों को भी राहत
सरकार ने उद्योगों और शिक्षण संस्थानों के लिए भी निर्माण विस्तार की अनुमति दी है। पुराने उद्योग अब 150% तक, सामान्य उद्योग 200% तक निर्माण बढ़ा सकेंगे। इसके अलावा, होटल, रिसॉर्ट और कॉलेजों को भी अतिरिक्त निर्माण की मंजूरी मिलेगी। साथ ही, औद्योगिक प्लॉट्स में 3 से 6 मीटर तक सेटबैक (खाली जगह) रखना अनिवार्य किया गया है।
पूरी प्रक्रिया होगी ऑनलाइन
हर आवेदन अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जमा होगा। यदि 18 दिन के भीतर रिपोर्ट नहीं आती, तो फाइल अपने आप विभाग को भेज दी जाएगी। सरकार ने नागरिकों से 28 नवंबर तक अपने सुझाव टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की ईमेल पर भेजने की अपील की है
