
रविवार को पिथौरागढ़ में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, और अब उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव खरकड़ी माखवान लाया जा रहा है, जहां आज उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। गांव में मातम का माहौल है और लोग अपने वीर सपूत को अंतिम श्रद्धांजलि देने की तैयारी कर रहे हैं।
अनिल कुमार तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। गांव के सरपंच राजेश कुमार के अनुसार, उनके दोनों बड़े भाई खेती करते हैं। उनके पिता कृष्ण कुमार भी किसान थे, जिनका करीब 4-5 साल पहले निधन हो चुका है। अनिल ने 10 जुलाई 2012 को सशस्त्र सीमा बल में भर्ती होकर देश सेवा की शुरुआत की थी। उनकी शादी दो साल पहले हुई थी और पत्नी उनके साथ उत्तराखंड में ही रहती थीं।
करीब दो महीने पहले ही अनिल अपनी पत्नी के साथ छुट्टी लेकर गांव आए थे और कुछ दिन रुकने के बाद वापस ड्यूटी पर लौट गए थे। रविवार, 19 अक्टूबर को गांव में जब यह सूचना पहुंची कि अनिल कुमार ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए हैं, तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। उनके बड़े भाई सुनील कुमार पार्थिव शरीर लेने उत्तराखंड गए हैं।