पांच साल पहले ज्वाइन की थी भारतीय सेना
गांव बौंद कलां के रहने वाले बलजीत चौहान ने करीब 5 साल पहले भारतीय सेना ज्वाइन की थी। उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से सेना में जगह बनाई थी। बलजीत का चयन कुमाऊं रेजिमेंट में हुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी क्षमता साबित करते हुए 13 एसएफ (स्पेशल फोर्स) में स्थान प्राप्त किया।
पठानकोट में ट्रायल के दौरान शहादत
जानकारी के अनुसार, बलजीत 5 पैरा एसएफ में तैनात थे और इस समय पठानकोट स्थित एनएसजी कमांडो ट्रायल कोर्स में हिस्सा ले रहे थे। 4 नवंबर को एक प्रशिक्षण गतिविधि (इवेंट) के दौरान वह शहीद हो गए। सेना के अधिकारियों ने उनके परिवार को सूचना दी, जिसके बाद पूरे गांव में मातम छा गया।
पिता दिव्यांग, बेटे ने संभाली थी जिम्मेदार
गांव के सरपंच अत्तर सिंह ने बताया कि शहीद बलजीत के पिता दिव्यांग हैं और पिछले कई सालों से व्हीलचेयर पर जीवन बिता रहे हैं। ऐसे में बलजीत ने बहुत छोटी उम्र में ही अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाई थी। उनकी शादी अभी तक नहीं हुई थी। परिवार और गांव वालों के मुताबिक, बलजीत बचपन से ही मेहनती और अनुशासित थे और देश की सेवा उनका सपना था।
आज पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
शहीद बलजीत चौहान का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव बौंद कलां लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचेंगे।
गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने बताया कि बलजीत न केवल एक कुशल सैनिक थे बल्कि गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी थे। उनके शहीद होने की खबर ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है।
