
यह फंड पंचायतों को अपनी स्थानीय प्राथमिकताओं के अनुसार योजनाएं बनाने और गांव-स्तर पर बुनियादी ढांचे, स्वच्छता व जल प्रबंधन को मजबूत करने के लिए दिया गया है। अनुदान को अनटाइड यानी गैर-बांधित फंड की श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि पंचायतें इस राशि को अपनी आवश्यकता के अनुसार खर्च कर सकती हैं, बशर्ते इसका उपयोग वेतन या प्रशासनिक खर्चों में नहीं किया जाए।
हरियाणा के अंबाला, पंचकूला, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और नूंह जिलों को यह राशि दी गई है। वितरण जनसंख्या, पंचायतों की संख्या और स्थानीय जरूरतों के आधार पर किया जाएगा।
यह राशि संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों पर खर्च की जा सकती है। इसमें ग्रामीण सड़कों, गलियों और नालियों का निर्माण, पीने के पानी की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन, स्वच्छता, कचरा प्रबंधन, शौचालयों का रखरखाव, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, शिक्षा, आंगनवाड़ी सुधार, हरित क्षेत्र और वृक्षारोपण, तालाबों का पुनर्जीवन, महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास शामिल हैं।