महालेखाकार की टीम ने 28 नवंबर से 15 दिसंबर 2023 के बीच नूंह कार्यालय की ऑडिट जांच की। जांच में सामने आया कि अगस्त 2019 से जून 2020 के बीच कुल 14 संदिग्ध भुगतान किए गए, जिनकी कुल राशि 40 लाख 51 हजार रुपये थी। ऑडिट रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि यह रकम 10 ऐसे व्यक्तियों के नाम पर जारी की गई थी, जिनके नाम तो विभाग के वास्तविक कर्मचारियों से मिलते-जुलते थे, लेकिन उनके पैन नंबर, बैंक खाता संख्या, यूनिक कोड और पते पूरी तरह अलग पाए गए। इतना ही नहीं, इन भुगतानों से संबंधित वित्तीय स्वीकृति आदेश और बिल-वाउचर फाइलें कार्यालय में मौजूद नहीं थीं।
इस पूरी अवधि में कार्यालय में तीन अधिकारी कार्यरत थे। तत्कालीन जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सुरेश गुप्ता (अब सेवानिवृत्त), लेखा सहायक हीना विरमानी (वर्तमान में फरीदाबाद में तैनात) और क्लर्क कृष्ण कुमार (वर्तमान में कोसली में कार्यरत)। रिपोर्ट के अनुसार, भुगतान प्रक्रिया में इन तीनों की सीधी संलिप्तता रही है। कुछ मामलों में बिना स्वीकृति आदेश के राशि जारी की गई, जबकि कुछ भुगतानों में ऐसे नामों से पैसे भेजे गए, जो असली कर्मचारियों से मेल नहीं खाते थे।
महालेखाकार की रिपोर्ट में एक अन्य ऑब्जर्वेशन में यह भी दर्ज है कि इसी अवधि में एक कर्मचारी द्वारा भुगतान से संबंधित कार्य के बदले 60 हजार रुपये की रिश्वत मांगने और प्राप्त करने की शिकायत भी सामने आई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन क्लर्क ने यह राशि व्यक्तिगत लाभ के लिए मांगी थी। इन गंभीर अनियमितताओं के बाद जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी ने 13 अक्टूबर 2025 को थाना सिटी नूंह में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर नंबर 240 दर्ज कर ली है। मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 409 के तहत पंजीकृत किया गया है। जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर अजीत सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में ऑडिट रिपोर्ट के सभी तथ्य सही पाए गए हैं। पुलिस अब बैंक लेन-देन, खातों और संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है। दोषियों के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले के सामने आने से नूंह जिले के प्रशासनिक और वित्तीय हलकों में हड़कंप मच गया है। सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले में केवल स्थानीय नहीं बल्कि चंडीगढ़ स्तर के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता भी हो सकती है, क्योंकि जिन खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए, उनके फर्जी पे-कोड चंडीगढ़ से बनाए गए थे। सबसे अहम बात यह है कि इस पूरे विभाग का बजट भी चंडीगढ़ से ही जारी होता है, जिससे ऊपरी स्तर पर मिलीभगत की आशंका और गहरा रही है।
