 
                                                धोखाधड़ी का मामला आठ साल पुराना
एडवोकेट प्रवीण दहिया के अनुसार, यह धोखाधड़ी साल 2016–17 में हुई थी। आरोप है कि मृत संपत्ति मालिकों के नाम पर दो प्लॉट एक 2.42 करोड़ और दूसरा 1.59 करोड़ रुपये में बेचे गए। इन सौदों में कई फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया।
मामले में अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि मुख्य आरोपी रोशनी बिश्नोई, उनके पति अनूप सिंह बिश्नोई और उनकी बेटी सुरभि बिश्नोई अब भी जांच के दायरे में हैं।
शिकायतकर्ता धर्मबीर सिंह ने बताया कि उसके पिता सुनील सिंह के नाम का एक प्लॉट गुरुग्राम के पालम विहार क्षेत्र में था। पिता की मृत्यु के बाद फर्जी डॉक्यूमेंट्स तैयार कर उस संपत्ति को बेच दिया गया।
धर्मबीर का दावा है कि इस प्लॉट की बिक्री की रकम रोशनी बिश्नोई के बैंक खाते में जमा हुई। धर्मबीर खुद कुलदीप बिश्नोई के जीजा अनूप बिश्नोई का चचेरा भाई है।
एडवोकेट दहिया ने कहा कि इस पूरे मामले में राजनीतिक दबाव की वजह से जांच में देरी की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गरीबों के नाम पर फर्जी लोग गिरफ्तार किए गए, जबकि “असली गुनहगार आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।”
कौन हैं अनूप सिंह बिश्नोई?
जानकारी के मुताबिक, अनूप सिंह बिश्नोई हरियाणा के बड़े बिजनेसमैन हैं। उनके LinkedIn प्रोफाइल के अनुसार वे बिस्को लिमिटेड और ग्लोसब स्प्रिट कंपनी के प्रमोटर हैं। बिस्को लिमिटेड की स्थापना साल 1983 में हिसार में हुई थी।
बताया जा रहा है कि कंपनी से एक ईमेल रोशनी बिश्नोई को भेजा गया था, जिसमें फर्जी दस्तावेजों का पूरा सेट था, जिसे बाद में सौदा कराने वाले विकास बिश्नोई को सौंपा गया।
