हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य सरकार की नई नीति के तहत खाद की बिक्री अब केवल “मेरी फ़सल मेरा ब्योरा (MFMB)” पोर्टल के माध्यम से किए जाने से बड़े परिवर्तनकारी परिणाम सामने आए हैं। यह सुधार इस बात को सुनिश्चित करता है कि सब्सिडी वाली खाद केवल असली किसानों को ही मिले, और ‘जिसका खेत, उसका खाद’ के सिद्धांत को मजबूती मिल सके।
राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा भारत का पहला राज्य बन गया है, जिसने खाद वितरण प्रणाली को किसान-प्रमाणित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से पूरी तरह जोड़ा है। एमएफएमबी और इंटीग्रेटेड फ़र्टिलाइज़र मैनेजमेंट सिस्टम (iFMS) के एकीकरण से थोक खरीद, काला बाज़ारी, और औद्योगिक इकाइयों की ओर खाद की अवैध सप्लाई पर रोक लगी है।
किसानों को बिना लाइन मिलेगी खाद
उन्होंने बताया कि अब किसानों को खाद तभी मिलती है जब उनकी ज़मीन का रिकॉर्ड, एमएफएमबी पर दर्ज फ़सल विवरण, और आधार-लिंक बैंक विवरण सत्यापित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप 25 लाख पंजीकृत किसानों में से 90% किसानों को बिना लाइन लगाए, बिना देरी और बिना किसी पक्षपात के खाद मिल चुकी है।
कृषि मंत्री ने बताया कि सबसे बड़ा लाभ गलत उपयोग पर रोक के रूप में मिला है।उन्होंने बताया कि रियल टाइम मॉनिटरिंग और किसान-स्तर पर तय खरीद सीमा से सब्सिडी वाली खाद की हेरा-फेरी बंद हुई है। पिछले छह महीनों में हरियाणा ने 4455 निरीक्षण किए, 120 नोटिस जारी किए, 36 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए और 28 एफआईआर दर्ज कीं। नतीजन, डीएपी की हेरा-फेरी में 7.92% और यूरिया में 10.12% की कमी आई।
सब्सिडी से पैसे बचा रही सरकार
उन्होंने बताया कि खेती का रकबा बढ़े बिना ही खाद खपत में भारी गिरावट आई है। 8 अक्टूबर से 30 नवंबर तक यूरिया की खपत में 48,150 मीट्रिक टन (10.12%) और डीएपी में 15,545 मीट्रिक टन (7.92%) की कमी रही। सिर्फ इसी कमी से ₹351.90 करोड़ की सब्सिडी बची, जिसमें से ₹198.43 करोड़ यूरिया से और ₹153.47 करोड़ डीएपी से बचाए गए।
उन्होंने कहा कि पारदर्शिता से समान वितरण संभव हुआ। पहले बड़े खरीदार खाद बाजारों पर हावी रहते थे। अब 40 बैग से अधिक खरीदने वाले किसानों की संख्या 43.2% घटी, जबकि 20 बैग से कम लेने वाले किसान 16.4% बढ़े। औसत खरीद 20 बैग से घटकर 18 बैग रह गई, जिससे हर गांव के किसान तक खाद पहुंची, न कि केवल प्रभावशाली या बड़े किसानों तक।
ऑनलाइन पंजीकरण से आसान हुआ काम
श्री राणा ने बताया कि एमएफएमबी पर किसानों की बढ़ती आस्था पंजीकरण में वृद्धि से स्पष्ट है। खरीफ 2020-21 में 9.20 लाख किसान पंजीकृत थे, जबकि 2025-26 में यह संख्या 12.80 लाख हो गई। इससे एनपीके, टीएसपी, एसएसपी जैसे संतुलित उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा मिला है। नीति के कारण 51,492 मीट्रिक टन डीएपी के बराबर बचत हुई, जो मृदा स्वास्थ्य सुधार और रासायनिक निर्भरता घटाने में सहायक सिद्ध होगी।
उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर को हरियाणा कृषि विभाग का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव के निमंत्रण पर नई दिल्ली में बैठक में शामिल हुआ। प्रतिनिधिमंडल में कृषि प्रधान सचिव श्री पंकज अग्रवाल, कृषि निदेशक श्री राजनारायण कौशिक और संयुक्त निदेशक प्रदीप मील शामिल रहे। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने हरियाणा की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए इस मॉडल को अन्य राज्यों में लागू करने का आश्वासन दिया।
कृषि मंत्री ने कहा कि यह अच्छे प्रशासन का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें घबराहट में खरीद, लाइनें, फर्जी बिलिंग और जमाखोरी सभी गायब हो गई हैं। हरियाणा को चालू रबी सीजन में 2.5 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की बचत की उम्मीद है, जिससे ₹1,030.27 करोड़ से अधिक की वार्षिक सब्सिडी बचत संभावित है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2026 तक इस सुधार के और व्यापक परिणाम देखने को मिलेंगे।
श्री राणा ने कहा कि एमएफएमबी से जुड़े खाद वितरण ने हरियाणा में किसानों का अनुभव बदल दिया है। पारदर्शिता, रियल टाइम निगरानी और पूरी ट्रेसबिलिटी के साथ, हरियाणा के किसानों के लिए लाई गई खाद अब सिर्फ हरियाणा के खेतों में ही उपयोग हो रही है। यही असली किसान सशक्तिकरण है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा अब पूरे देश के लिए एक मॉडल बन चुका है जो खाद की निष्पक्ष उपलब्धता, सार्वजनिक धन की सुरक्षा और किसान-केंद्रित प्रशासन को मजबूत करता है।
