हरियाणा HAU की बड़ी कामयाबी: सरसों की नई हाइब्रिड किस्म RHH 2101 तैयार, 40% तक तेल उत्पादन संभव

हिसार। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने एक बार फिर कृषि क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सरसों की नई हाइब्रिड किस्म RHH 2101 विकसित की है, जो न केवल उपज के मामले में बल्कि तेल उत्पादन के लिहाज से ...

हरियाणा में

हिसार। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने एक बार फिर कृषि क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सरसों की नई हाइब्रिड किस्म RHH 2101 विकसित की है, जो न केवल उपज के मामले में बल्कि तेल उत्पादन के लिहाज से भी अब तक की सभी किस्मों से कहीं बेहतर साबित होगी।

पहली बार HAU ने बनाई हाइब्रिड सरसों

HAU के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि यह विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई पहली हाइब्रिड किस्म है। यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के प्रोजेक्ट के तहत तैयार की गई है।

  • यह किस्म 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है।

  • सरसों की इस किस्म में 40% तक तेल की मात्रा पाई गई है।


खेत की जरूरत के अनुसार सिंचाई

यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और 135 से 142 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।

  • भिवानी जैसे रेतीले क्षेत्रों में सिर्फ 2-3 सिंचाई की जरूरत होगी।

  • हिसार-जींद जैसी उपजाऊ मिट्टी में केवल 1 सिंचाई पर्याप्त है।


हाईब्रिड RHH 2101 के विशेष गुण

HAU अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग के अनुसार, किसी भी हाइब्रिड किस्म को मान्यता तभी मिलती है जब वह पुरानी किस्मों की तुलना में कम से कम 5% अधिक उत्पादन दे।

  • RHH 2101 में 8% अधिक उपज क्षमता है।

  • इसके 1000 दानों का वजन 5 ग्राम से ज्यादा पाया गया है।

  • इस किस्म ने पिछले 4-5 वर्षों के ट्रायल्स में बेहतर प्रदर्शन किया है।


2026 से किसानों को मिलेगा बीज

सरसों विशेषज्ञ डॉ. राम अवतार ने जानकारी दी कि

  • किसान अगले साल (2026) से इस हाइब्रिड किस्म का बीज खरीद सकेंगे।

  • जैसे ही किस्म जारी और नोटिफाई होगी, बीज उत्पादन के लिए प्राइवेट बीज कंपनियां एमओयू के तहत सहयोग कर सकेंगी।

HAU पहले ही इस किस्म के व्यापक बीज उत्पादन की दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि किसानों को समय पर गुणवत्तापूर्ण बीज मिल सके।


यह क्यों है किसानों के लिए फायदेमंद?

  • उच्च उपज (30 क्विंटल/हेक्टेयर तक)

  • 40% तेल की मात्रा

  • कम सिंचाई की जरूरत

  • रेतीली और दोमट दोनों प्रकार की भूमि के लिए उपयुक्त

  • लंबे समय तक उत्पादन में स्थिरता

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