स्लीपर कोच में भी मिलेगी
रेलवे के नियम के मुताबिक, ट्रेनों के स्लीपर कोच में यात्रियों को कंबल-तकिया और चादर नहीं मिलते थे। मगर अब ये सुविधा जल्द ही शुरू होने वाली है। दक्षिण भारत से इसकी शुरुआत हो रही है। बता दें कि, पिछले दिनों डीआरएम चेन्नई ने इसकी घोषणा एक्स पर की थी। अपने एक्स पोस्ट में डीआरएम चेन्नई ने @DrmChennai नामक हैंडल से लिखा था, 'चेन्नई डिवीजन ने 1 जनवरी 2026 से सैनिटाइज़्ड बेडरोल लॉन्च किए हैं।
दक्षिण रेलवे का चेन्नई डिवीजन, स्लीपर क्लास के यात्रियों के आराम और स्वच्छता को बेहतर बनाने के लिए अपनी तरह की पहली सेवा शुरू कर रहा है। यात्री ऑन-डिमांड - ऑन-पेमेंट के आधार पर सैनिटाइज़्ड बेडरोल का अनुरोध कर सकते हैं।'
जानें कितना आएगा चार्ज
बता दें कि अगर आप स्लीपर क्लास में सफर कर रहे हैं और चादर की आवश्यकता है तो आप इसे खरीद सकते हैं। रेलवे ने इसकी कीमत काफी कम रखी है जिससे कोई भी यात्री जरूरत पड़ने पर आसानी से ले सके। यात्री सिर्फ चादर, सिर्फ तकिया या पूरा सेट भी चुन सकते हैं।
ट्रेन स्टाफ से कहते ही वो पैक्ड, साफ-सुथरा बेडरोल आपको मुहैया करवा देंगे। एक बेडशीट के लिए 20 रुपये, एक तकिया और तकिया कवर के लिए 30 रुपये तो वहीं बेडशीट, एक तकिया और तकिया कवर 50 रुपये देने होंगे।
सफेद ही क्यों होता है चादर का रंग
अब आप सोच रहे होंगे ट्रेन में मिलने वाली चादर का रंग सफेद ही क्यों होता है। ये पीली, हरी, लाल या नीली भी तो हो सकती है। सबसे पहले तो आपको बता दें कि, ट्रेन में चादर का रंग सफेद इसलिए होता है क्योंकि यह स्वच्छता, हाइजीन और मानसिक शांति का प्रतीक है। दरअसल, सफेद चादर पर गंदगी तुरंत दिख जाती है जिससे स्टाफ उसे बदल सकता है और ब्लीचिंग के लिए सफेद कपड़े सबसे उपयुक्त होते हैं।
अगर चादर रंगीन होगा तो उसका रंग खराब हो सकता है। मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में ब्लीच और गर्म पानी का इस्तेमाल होता है। सफेद कपड़े इस प्रक्रिया को झेल लेते हैं, जबकि रंगीन चादरें फीकी पड़ जाती हैं या रंग छोड़ देती हैं।
