Haryana News: हरियाणा के फतेहाबाद जिले से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां कांइम ब्रांच में कॉन्स्टेबल राजेश के बेटा युवांश (8 माह) दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी है। खबरों की मानें, तो इस बीमारी का नाम स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 है और इस बीमारी का इलाज 14.50 करोड़ के इंजेक्शन से ही कराया जा सकता है। इसके चलते राजेश ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है, ताकि, मासूम की जान बचाई जा सके।
स्विट्जरलैंड से आएगा इंजेक्शन
जानकारी के मुताबिक, इस बीमारी का इंजेक्शन स्विट्जरलैंड स्थित जेनेवा से आएगा। लेकिन, परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो इतना बड़ा खर्च उठा सके। बताया जा रहा है कि बच्चे की जान बचाने के लिए लोग उनके मदद के लिए आगे आ रहे हैं और पुलिस महकमा भी अपने साथी कर्मचारी के बेटे के लिए आर्थिक मदद कर रहा है। इसी बीच आदमपुर के विधायक चंद्रप्रकाश ने सीएम नायब सैनी को पत्र लिखा है और राजेश को सरकारी सहायता देने की मांग की है। वहीं, कैथल की एसपी आस्था मोदी ने भी लेटर जारी कर दिया है और पुलिसकर्मियों से मदद करने का आग्रह किया है। जिसके चलते फतेहाबाद की पुलिस सहयोग भी कर रही है।
अक्टूबर 2024 को हुआ था बेटे का जन्म
खबरों की मानें, तो कांइम ब्रॉच के कॉस्टेबल राजेश की शादी 23 अप्रैल 2023 को किरण नाम की युवती से हुई थी। इसके बाद 9 अक्टूबर 2024 को राजेश की पत्नी किरण ने बेटे को जन्म दिया था। परिवार के लोग काफी खुश थे और उन्होंने बच्चे का नाम युवांश रखा। हालांकि, युवांश अपने जन्म के दो महीने बाद भी सामान्य बच्चों की तरह एक्टिविटी नहीं कर रहा था। जिसके चलते उसे हिसार में एक हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाया गया। पहले डॉक्टर ने कहा कि सब ठीक है, बच्चा का विकास थोड़ा लेट हो सकता है।
18 मई को चला बीमारी का पता
खबरों की मानें, तो युवांश के पिता राजेश ने बताया कि दो-तीन महीने और बीते तो युवांश की छाती में आवाज आने लगी। इसके बाद उन्होंने हिसार के दूसरे डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने दवा दी तो एक महीने में कुछ इम्प्रूवमेंट दिखाई दी। इसके बाद युवांश को एक हफ्ते तक अस्पताल में एडमिट भी रखा गया। इससे और इम्प्रूवमेंट देखने को मिली। लेकिन, डॉक्टर को फिर से दिखाया तो उन्होंने हायर सेंटर पीजीआई या एम्स में दिखाने की सलाह दी। राजेश ने हार नहीं मानी और वह अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए कई प्राइवेट अस्पताल में घूमते रहे। इसी बीच डॉक्टर ने युवांश का SMA टेस्ट करवाया। 18 मई को रिपोर्ट आई तो उसमें स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 बीमारी मिली। डॉक्टर ने सुझाव दिया कि चंडीगढ़ PGI या फिर एम्स में ट्रीटमेंट शुरू का दो। युवांश को 2 साल की उम्र तक यह इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। इससे उसकी जान बच सकती है।
क्या होता है इस बीमारी में
खबरों की मानें, तो राजेश ने बताया कि 22 मई 2025 को वह रोहतक PGI में डॉ. रेणु सुथार से मिले थे। डॉ. बताया कि रीढ़ की हड्डी में न्यूरांस बनते हैं। इन न्यूरांस से ही सेल बनते हैं, जो शरीर का विकास होता है। जब किसी को SMA बीमारी होती है तो शरीर में न्यूरांस नहीं बनते हैं। न्यूरांस नहीं बनने पर शरीर विकास नहीं कर पाता है। जिससे शरीर सूख जाता है और विकास नहीं हो पाता है।