रोहतकः अब शहरवासी जानेंगे जन्मतिथि का रहस्य, ऑनलाइन कोर्स हुआ उपलब्ध

 
रोहतकः अब शहरवासी जानेंगे जन्मतिथि का रहस्य, ऑनलाइन कोर्स हुआ उपलब्ध

अब रोहतकवासी भी अपनी जन्मतिथि का रहस्य जान सकेंगे। इसके लिए ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध हो गया है। जाने-माने न्यूमरोलॉजिस्ट डा. हरीश दुरेजा ने अंक शास्त्र यानि न्यूमरोलॉजी से जुड़ी तमाम जानकारी सांझा की है। वे न्यूमरोलॉजिस्ट के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र के भी विशेषज्ञ हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर यह कोर्स किया जा सकता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए यह कोर्स निःशुल्क उपलब्ध रहेगा।

डा. दुरेजा ने शनिवार को यहां मोहल्ला रेस्टोरेंट में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जिंदगी में नंबरों के बिना कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि न्यूमरोलॉजी एक प्राचीन विद्या है। यह विद्या संख्याओं के प्रतीकात्मक अर्थ और घटनाओं के बीच एक रहस्यमय संबंध में विश्वास करती है। जन्मतिथि और नामों के अक्षरों को संख्यात्मक मान देकर व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव, भविष्य और जीवन पथ के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। मूलांक और भाग्यंक के आधार पर ग्रहों से जुड़कर जीवन पर प्रभाव डालते हैं। उन्होंने कहा कि न्यूमरोलॉजी अंकों के माध्यम से जीवन को समझने और मार्गदर्शन पाने का एक प्रतीकात्मक तरीका है। जिसमें 1 से लेकर 9 तक अंकों के आधार पर भविष्य और व्यवहार की गणना की जाती है। उन्होंने बताया कि जन्मतिथि में भाग्यांक और मूलांक 2 बेहद अहम अंक होते हैं।


डा. हरीश दुरेजा ने कहा कि जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, वेतन, फ्लैट या घर का नंबर,घड़ी का समय सब कुछ नंबरों में ही है। दरअसल व्यक्ति चारों ओर नंबरों से ही घिरा हुआ है। इसलिए जीवन में नंबर अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि न्यूमरोलॉजी में कोई भी नंबर बेकार या खराब नहीं होता है। उन्होंने बताया कि न्यूमरोलॉजी में नंबर एक बहुत ही ताकतवर माना जाता है। यह नंबर सूर्य का होता है और सूर्य राजा है। नंबर एक इन सारे गुणों को रखता है। सूर्य ऊर्जा और शक्ति देता है। ये ग्रहों का राजा है।


डा. दुरेजा ने वास्तुशास्त्र के संबंध मंे बताया कि प्राचीन भारतीय विद्याओं में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। आज के तकनीकी व आर्थिक युग में वास्तुशास्त्र का महत्त्व अत्यधिक बढ गया है। मौजूदा समय में किसी भी प्रकार के निर्माण में वास्तुशास्त्र के नियमों को ध्यान में रखा जाता है। वास्तुशास्त्र के मूल नियमों के विरुद्ध बने हुए भवनों में अशुभ प्रभावों का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा गया है। उन्होंने बताया कि वास्तुशास्त्र के अनुसार हर घर में 45 देवता होते हैं