
पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे समाप्त होगी। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में और अमावस्या तिथि में ही करनी चाहिए। इस बार प्रदोष काल 20 अक्टूबर को ही है, इसलिए ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा करना अधिक शुभ माना जा रहा है।
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल शाम 5:46 से रात 8:18 बजे तक और वृषभ काल शाम 7:08 से रात 9:03 बजे तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है।
धार्मिक ग्रंथों, विशेषकर लक्ष्मी उपनिषद में लक्ष्मी जी के निवास स्थानों का उल्लेख किया गया है। एक श्लोक में बताया गया है कि माता लक्ष्मी आंवले के पेड़, गोबर, कमल, शंख और सफेद वस्त्रों में निवास करती हैं। इसलिए दिवाली पूजा में इन वस्तुओं का प्रयोग करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
एक अन्य श्लोक के अनुसार, लक्ष्मी जी कमल, शंख, चंद्रमा, भगवान शिव, भगवान विष्णु के हृदय और उन घरों में निवास करती हैं, जहां सदा उत्सव का माहौल होता है। इसका अर्थ यह है कि जहां आनंद, शुद्धता और प्रेम होता है, वहां लक्ष्मी जी का वास स्थायी हो जाता है।
इसलिए दिवाली के दिन अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो घर को साफ-सुथरा रखें, पूजा में उपयुक्त सामग्री का प्रयोग करें और घर का वातावरण उत्सवपूर्ण बनाए रखें। साफ मन, सच्ची श्रद्धा और संयमित पूजा लक्ष्मी माता को विशेष प्रिय होती है।
इस वर्ष 20 अक्टूबर को दिवाली मनाना ज्योतिषीय रूप से शुभ माना जा रहा है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा कर, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।