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Wedding Tradition: शादी की ये अजीब रस्म, ससुर की गोद में बैठती है दुल्हन...फिर जाती है दूल्हे के पास; जानें क्यों  

 
Wedding Tradition: अफ्रीका के नाइजीरिया में रहने वाले एक समुदाय में भी विवाह से जुड़ी एक ऐसी ही अनोखी परंपरा है, जो हर किसी को हैरान कर सकती है। लेकिन इस परंपरा अपने भीतर गहरा अर्थ और भावनात्मक संदेश समेटे हुए है। इस रस्म के जरिये दुल्हन को नए परिवार में स्वीकार करने, जिम्मेदारियां सौंपने और रिश्तों की मजबूती को सार्वजनिक रूप से स्थापित किया जाता है। परंपरा भले ही असामान्य दिखे, लेकिन इसका मकसद सम्मान, विश्वास और पारिवारिक अपनापन दिखाना होता है। 

दूल्हे से पहले ससुर की गोद में बैठती है दुल्हन 

इस रस्म से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर हाल ही में सामने आया है। इस वीडियो में देखा गया कि शादी की रस्म के दौरान दुल्हन पहले अपने ससुर की गोद में और फिर अपने दूल्हे की गोद में बैठती है। यह प्रक्रिया कुल 7 बार दोहराई जाती है। बिना पूरी जानकारी के कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस रस्म को गलत नजरिए से देखा और इसे अश्लील या अजीब बताया, जबकि इसका अर्थ पूरी तरह सांस्कृतिक और पारिवारिक जिम्मेदारी से जुड़ा है।

जानें क्या है यह रस्म?

Edo परंपरा के अनुसार, शादी के समय दूल्हे का नाम दुल्हन के परिवार का एक सदस्य छह बार पुकारता है. इन छह बार दूल्हा कोई प्रतिक्रिया नहीं देता. सातवीं बार दूल्हे का नाम दुल्हन के पिता द्वारा लिया जाता है, और तभी दूल्हा जवाब देता है. यह इस बात का प्रतीक है कि अब वह पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार है। 

दुल्हन के पिता दूल्हे को समझाते हैं

इसके बाद दुल्हन के पिता दूल्हे को समझाते हैं कि वह उनकी बेटी की पूरी जिम्मेदारी ले। फिर वह अपनी बेटी से आखिरी बार पूछते हैं कि क्या वह इसी शख्स से शादी करना चाहती हैं। दुल्हन के 'हां' कहने पर पिता भावुक शब्दों में बताते हैं कि अब बेटी का मायका उसका घर नहीं रहा। 


ससुर की गोद में बैठने का असली मतलब

इसके बाद दुल्हन के पिता उसे दूल्हे के पिता के पास ले जाते हैं और 7 बार उनकी गोद में बैठाते हैं। इसका अर्थ यह है कि अब दूल्हे का पिता भी दुल्हन को अपनी बेटी की तरह अपनाएगा। फिर दूल्हे के पिता खड़े होकर दुल्हन को अपने बेटे यानी दूल्हे की गोद में बैठाते हैं, जिससे विवाह पूर्ण माना जाता है। 

इसके बाद दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को पहले चीनी और शहद खिलाते हैं, फिर कड़वे कोला नट (bitter kola) का स्वाद लेते हैं. यह इस बात का प्रतीक है कि शादीशुदा जीवन में मिठास भी होगी और कड़वाहट भी और दोनों को साथ स्वीकार करना होगा। 

पैसे लौटाने की परंपरा

शादी में दिए गए पैसों में से दुल्हन के पिता केवल एक छोटा हिस्सा रखते हैं और बाकी रकम दूल्हे को लौटा देते हैं. इसका मतलब है कि यह सौदा नहीं, बल्कि विश्वास और जिम्मेदारी का रिश्ता है। रस्म पूरी होने के बाद दोनों परिवार दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देते हैं. दूल्हा अपने ससुराल वालों को धन्यवाद स्वरूप एक बोतल पेय देता है और फिर परिवार के साथ नाचते-गाते मेहमानों के बीच प्रवेश किया जाता है.