Hydrogen Train: हरियाणा में इस महीने से चलेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, जानें कैसा होगा सफर?
इसे भारतीय रेलवे की एक अनोखी पहल माना जा रहा है। यह पर्यावरण के अनुकूल कदम है। ट्रेन में हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली पैदा करती है, जिससे सिर्फ पानी और भाप ही निकलता है। इसमें कार्बन उत्सर्जन नहीं होता और यह डीजल ट्रेनों की तुलना में प्रदूषण मुक्त है।
इस ट्रेन की पावर 1,200 हॉर्सपावर होगी, जो इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक बनाती है। दूसरे देशों (जैसे जर्मनी) में हाइड्रोजन ट्रेनों की पावर आमतौर पर 500-600 हॉर्सपावर होती है। इस ट्रेन में 8 पैसेंजर कोच और 2 हाइड्रोजन स्टोरेज कोच हैं, जिनमें एक बार में 2,638 यात्री बैठ सकते हैं। यह 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है।
इस ट्रेन में एक किलोग्राम हाइड्रोजन 4.5 लीटर डीजल जितना ही माइलेज देता है। 8-10 कोचों को चलाने के लिए 2.4 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है, जिसके लिए ट्रेन में दो पावर प्लांट लगाए गए हैं।
यह ट्रेन चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनाई गई थी, जो 1955 में स्थापित भारत की पहली कोच बनाने वाली यूनिट है। ट्रेन का डिजाइन लखनऊ के रिसर्च, डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) ने किया है। यह पूरी तरह स्वदेशी टेक्नोलॉजी पर आधारित है।इस ट्रेन की अनुमानित लागत 82 करोड़ रुपये है। भारतीय रेलवे ने अपनी 'हेरिटेज के लिए हाइड्रोजन' पहल के तहत 35 ऐसी ट्रेनों के लिए 2,800 करोड़ रुपये और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।