Haryana : हरियाणा में विज के महकमे में 1500 करोड़ के घोटाले पर एक्शन, अफसरों पर गिर सकती है गाज
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने श्रम विभाग का कार्यभार संभाला, तभी यह मामला उनके सामने आया था कि एक ही व्यक्ति द्वारा हजारों श्रमिकों का वेरिफिकेशन किया गया, जो किसी भी स्थिति में संभव नहीं है।
पत्रकारों से बातचीत में श्रम मंत्री ने बताया कि निर्माण श्रमिकों को सरकार द्वारा अनेक लाभ दिए जाते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्च पीएचडी तक उठाया जाता है, शादी, बच्चे के जन्म, बीमारी की स्थिति में आर्थिक सहायता दी जाती है। इन सभी लाभों के लिए श्रमिक का पंजीकरण और सत्यापन अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि जब यह तथ्य सामने आया कि एक-एक कर्मचारी द्वारा कई-कई हजार श्रमिकों का सत्यापन किया गया है, तो सबसे पहले तीन जिलों में समरी इंस्पेक्शन कराई गई, जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई। इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में जांच कराने का निर्णय लिया गया।
श्रम मंत्री ने बताया कि विभाग के पास सीमित स्टाफ होने के कारण सभी जिलों में स्वयं जांच कर पाना संभव नहीं था। इसलिए सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर तीन सदस्यीय समितियां गठित करने और पंजीकृत कामगारों की सूचियों के आधार पर घर-घर जाकर सत्यापन कराने के निर्देश दिए गए।
अब तक 13 जिलों की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, जबकि 9 जिलों की रिपोर्ट आना शेष है। प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, 13 जिलों में कुल 5,99,758 वर्कस्लिप में से केवल 53,249 वर्कस्लिप वैध पाई गईं, जबकि शेष अवैध हैं। इसी प्रकार, 2,21,517 पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 14,240 श्रमिक ही वैध पाए गए हैं।
मंत्री अनिल विज ने कहा कि इसका स्पष्ट अर्थ है कि जिन मजदूरों के नाम पर सरकारी लाभ लिए जा रहे हैं, वे लाभ वास्तव में कोई और व्यक्ति ले रहा है। अब यह जांच जरूरी है कि ये वर्कस्लिप किसने बनाईं, कब से लाभ लिया जा रहा है, किन-किन लोगों ने लाभ उठाया और किसने इनका सत्यापन किया। जांच में यह मामला और भी बड़ा रूप ले सकता है।
उल्लेखनीय है कि श्रम विभाग में हुए इस बड़े फर्जीवाड़े की जांच स्वयं श्रम मंत्री अनिल विज के निर्देश पर कराई गई, जिसमें लगभग 1500 करोड़ रुपये के वर्कस्लिप घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री से विस्तृत जांच की सिफारिश भी की गई है।