Ankita Topal Success Story: उत्तराखंड की इस लड़की ने पैरों से लिखी अपनी सफलता की कहानी, JRF की परीक्षा में 2nd रैंक हासिल कर रच दिया इतिहास
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंकिता चमोली स्थित डिडोली गांव की रहने वाली हैं। वह दिव्यांग हैं और जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह अपने मेहनत और सच्ची लगने के दम पर आगे बढ़ती रही और अब उन्होंने अपने पैरों को अपना हाथ बनाकर ही अपनी सफलता की एक नई कहानी लिख दी।
खबरों की मानें, तो अंकिता ने अपने पैरों से लिख कर दूसरी रैंक के साथ JRF की परीक्षा को क्वालिफाई की है। इस परीक्षा के लिए वह पिछले दो साल से तैयारी कर रही थीं। अंकिता के पिता प्रेम सिंह तोपाल टिहरी जिले में स्थित ITI में इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम करते हैं।
वहीं अंकिता की एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने देवाल विकासखंड से 10वीं और ऋषिकेश से 12वीं की। इसके बाद अंकीता हायर स्टडी के लिए देहरादून चली गईं थीं। उन्होंने हिस्ट्री (इतिहास) में पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) किया है और अब JRF परीक्षा में ये उपलब्धि हासिल कर उत्तराखंड का नाम रोशन कर दिया है। अंकिता की इस उपलब्धि पर न सिर्फ उनके परिवार वाले खुश हैं बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है और सब अंकिता को बधाई दे रहे हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे हैं।
क्या होता जेआरएफ का एग्जाम
बता दें कि जेआरएफ यानी की जूनियर रिसर्च फेलोशिप की परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से किया जाता है यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर/जनवरी में आयोजित कराई जाती है।यह एक राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा है, जिसे पास करने के बाद उम्मीदवारों को किसी भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी या इसके तहत आने वाले शैक्षणिक संस्थानों से उनके च्वाइस के विषय पर रिसर्च PHD करने का मौका मिलता है। इस रिसर्च के लिए केंद्र सरकार की ओर से फंड भी मिलता है।