IAS Success Story: कैब ड्राइवर की बेटी बनी IAS अफसर, पढ़ें पूरी सक्सेस स्टोरी
IAS Success Story: जब घर की आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तो बच्चों की ज़िंदगी अक्सर चुनौतियों से भरी होती है। पढ़ाई से लेकर ज़रूरतों और शौकों तक, हर मोर्चे पर समझौते करने पड़ते हैं। तमिलनाडु के इरोड जिले की रहने वाली सी वनमती का बचपन भी कुछ ऐसा ही रहा।
उनके पिता एक कैब ड्राइवर थे और आमदनी इतनी सीमित थी कि घर का खर्च चलाना तक मुश्किल होता था। इसके बावजूद उनके माता-पिता ने वनमती की पढ़ाई को लेकर कभी कोई समझौता नहीं किया और जो जरूरी किताबें व संसाधन थे, वे उपलब्ध कराए।
वनमती ने बचपन से ही अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाना शुरू कर दिया था। स्कूल जाने के अलावा वह भैंस चराने जाती थीं और जानवरों की देखभाल में भी मदद करती थीं। उनके घर में बेटियों को आम तौर पर 12वीं के बाद आगे पढ़ाई की इजाज़त नहीं मिलती थी, लेकिन वनमती का सपना हमेशा कुछ बड़ा करने और आत्मनिर्भर बनने का था।
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन पर शादी का दबाव बढ़ने लगा। हालांकि, उनके माता-पिता चाहते थे कि वे आगे पढ़ाई करें, लेकिन रिश्तेदारों की दखलअंदाज़ी लगातार बढ़ रही थी। ऐसे समय में वनमती ने हिम्मत दिखाते हुए शादी से साफ इनकार कर दिया। सौभाग्य से, उनके माता-पिता ने उनका पूरा साथ दिया और यहीं से उनकी सफलता की कहानी ने एक नई दिशा पकड़ी। इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन किया और फिर कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। इसी दौरान उनके मन में देश सेवा करने का सपना और प्रबल होता गया।
वनमती को आईएएस बनने की प्रेरणा तब मिली जब उन्होंने अपने जिले की महिला कलेक्टर को लोगों से सम्मान पाते हुए देखा। इसी के साथ एक टीवी सीरियल ‘गंगा यमुना सरस्वती’ ने भी उनके भीतर नया जोश भर दिया, जिसमें मुख्य किरदार एक महिला आईएएस अधिकारी का था। इसने वनमती को यह यकीन दिलाया कि अगर कोशिश की जाए, तो सपना हकीकत बन सकता है।
लगातार मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर सी वनमती ने 2015 की यूपीएससी परीक्षा में 152वीं रैंक हासिल की। यह उपलब्धि सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं थी, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई, जो सीमित संसाधनों और सामाजिक दबावों के बावजूद अपने सपनों को जीना चाहते हैं। वनमती की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो गरीबी, मुश्किलें और समाज की बंदिशें भी रास्ता नहीं रोक सकतीं।