Haryana: हरियाणा में अवैध शिक्षण संस्थानों को लेकर HC सख्त, सुनाया ये बड़ा फैसला
मिली जानकारी के अनुसार, अदालत ने कहा कि ऐसे संस्थान उन युवाओं की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं, जो सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद में किसी भी कीमत पर डिग्री हासिल करना चाहते हैं। Haryana News
जानकारी के मुताबिक, जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने अवैध शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षा नियामक संस्थान न्यूनतम शैक्षणिक मानकों को लागू करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अदालतों और नियामक निकायों को बार-बार दिए गए निर्देशों के बावजूद इन संस्थाओं ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाने में असफलता दिखायी है। Haryana News
मिली जानकारी के अनुसार, नियामक संस्थाओं की लापरवाही ने न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किया, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य और जनहित को भी खतरे में डाल दिया है।
जानकारी के मुताबिक, पीठ ने शिक्षा के व्यापारीकरण पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि जब व्यावसायिक हित शैक्षणिक मानकों पर हावी हो रहे हों, तब अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती। कोर्ट ने कहा कि नियामक संस्थाएं ईमानदारी से कार्रवाई नहीं करतीं, तो पूरा शिक्षा तंत्र अपनी विश्वसनीयता खो देगा। Haryana News
मिली जानकारी के अनुसार, अदालत ने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि अधिकारी “प्रोएक्टिव और पारदर्शी निगरानी तंत्र” अपनाएं, ताकि केवल वही संस्थान संचालित हों जो वास्तव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी कि आगे की लापरवाही उन लोगों को प्रोत्साहित करेगी जो शिक्षा प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, बिना स्वीकृति वाले सेंटर्स पर रोक लगाने के आदेश हाई कोर्ट ने बिना स्वीकृति वाले डिस्टेंस एजुकेशन सेंटरों पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि ऐसे अनधिकृत केंद्रों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण जरूरी है, ताकि विद्यार्थी धोखाधड़ी का शिकार न हों। Haryana News
मिली जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों में केवल सैद्धांतिक ज्ञान पर्याप्त नहीं है, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण इनकी रीढ़ है। जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि व्यावहारिक सत्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बदला नहीं जा सकता।