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 Haryana: हरियाणा में इन अधिकारियों पर होगी सीधी कार्रवाई, जाने इसकी बड़ी वजह ?

 
Haryana: हरियाणा से बड़ी खबर सामने आ रही है। उत्तर भारत में आगामी सप्ताहों के दौरान वायु गुणवत्ता के और बिगड़ने की आशंका को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQM) ने बड़ा कदम उठाया है। जानकारी के मुताबिक, आयोग ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान (NCR क्षेत्र), उत्तर प्रदेश और दिल्ली के उपायुक्तों (DC) और जिला मजिस्ट्रेटों को पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए अधिक दंडात्मक अधिकार प्रदान किए हैं। Haryana News

सीधी कार्रवाई

मिली जानकारी के अनुसार, अब तक जिला अधिकारी केवल लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते थे। लेकिन CQM के 10 अक्टूबर 2024 के संशोधित आदेश के अनुसार, अब DC और DM न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रत्यक्ष कार्रवाई के लिए अधिकृत होंगे। ये कार्रवाई नोडल अधिकारियों, थाना प्रभारियों, और पर्यवेक्षकों पर लागू होगी, यदि वे अपने क्षेत्र में पराली जलाने पर प्रभावी रोक नहीं लगा पाए। Haryana News

कड़ा रुख

जानकारी के मुताबिक, यह आदेश ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। 17 सितंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने पराली जलाने पर प्रतिबंधों के कमजोर क्रियान्वयन पर नाराजगी जताई थी और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ गिरफ्तारी जैसे कठोर कदमों की सिफारिश की थी। मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2024 को प्रस्तावित है। Haryana News

प्रदूषण का बड़ा कारण

मिली जानकारी के अनुसार, हर साल अक्टूबर-नवंबर में उत्तर भारत खासकर दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई के बाद फसल अवशेषों को जलाना इस प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इससे उठने वाली जहरीली धुंध दिल्ली समेत पूरे NCR को अपनी चपेट में ले लेती है। Haryana News

जानकारी के मुताबिक, CQM के सदस्य डॉ. वीरिंदर शर्मा द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में अधिकारियों को “लगातार सतर्क” रहने और पराली जलाने की घटनाओं को “पूर्णतः समाप्त” करने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग का कहना है कि राज्यों में पहले से ही पराली जलाने पर प्रतिबंध है और अब इसकी पूरी जवाबदेही प्रवर्तन अधिकारियों की होगी।

किसानों पर सख्ती Haryana News

मिली जानकारी के अनुसार, हरियाणा सरकार ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए अब तक 22 किसानों के रिकॉर्ड में 'रेड एंट्री' की है। इसका प्रभाव यह होगा कि ये किसान आगामी दो फसली सीजन तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसल मंडियों में नहीं बेच पाएंगे।