अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम, UYSF वर्ल्ड योगा कप 2025 में नन्ही वान्या शर्मा बनीं चैंपियन
इस भव्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत सहित 12 देशों-जिनमें यूनाइटेड किंगडम (यूके), चीन, मलेशिया, थाईलैंड, पुर्तगाल, श्रीलंका सहित अन्य देश शामिल रहे — के सैकड़ों योग खिलाड़ियों ने भाग लिया। कड़ी प्रतिस्पर्धा और उच्च स्तरीय प्रदर्शन के बीच वान्या शर्मा ने अपनी उत्कृष्ट तकनीक, संतुलन, लचीलापन और आत्मविश्वास से निर्णायकों को प्रभावित करते हुए ओवरऑल चैंपियनशिप पर कब्ज़ा जमाया।
एस. डी. पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा की कक्षा 2 की छात्रा वान्या शर्मा ने प्रतियोगिता के विभिन्न वर्गों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने
पारंपरिक योगासन में प्रथम स्थान, आर्टिस्टिक पेयर योग में अपनी जोड़ीदार मिशा सैनी के साथ द्वितीय स्थान, तथा ग्रुप योग इवेंट में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
अपनी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए वान्या को स्कूटी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, जो इस प्रतियोगिता का विशेष आकर्षण रहा।
इतनी कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह सफलता वान्या की असाधारण प्रतिभा, निरंतर अभ्यास और कठोर अनुशासन का प्रमाण है। उनकी इस उपलब्धि के पीछे उनके पिता एवं कोच, प्रसिद्ध योग गुरु हेमंत शर्मा का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके कुशल मार्गदर्शन, तकनीकी प्रशिक्षण और प्रेरणा ने वान्या को इस मुकाम तक पहुँचाने में निर्णायक भूमिका निभाई।
इसके साथ ही, माटा स्पोर्ट्स द्वारा प्रदान किया गया निरंतर सहयोग, पेशेवर प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के अवसर भी इस ऐतिहासिक सफलता में अत्यंत सहायक सिद्ध हुए।
इस अवसर पर Universal Yoga Sports Federation (UYSF) के World President श्री सुरेश कुमार जी एवं UYSF इंडिया की प्रेसिडेंट श्रीमती ज्योति पाल जी ने वान्या शर्मा को उनकी शानदार जीत पर हार्दिक बधाई दी। दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि इतनी कम उम्र में ‘चैंपियंस ऑफ चैंपियन’ का खिताब जीतना भारतीय योग प्रतिभा की शक्ति और उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है। उन्होंने वान्या के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वह आने वाले वर्षों में भारत का नाम विश्व पटल पर और ऊँचाइयों तक पहुँचाएगी।
अपनी जीत पर वान्या शर्मा ने भावुक होकर कहा, “मेरी इस सफलता में मेरे पापा और कोच योग गुरु हेमंत शर्मा तथा माटा स्पोर्ट्स का बहुत बड़ा योगदान है। उनके मार्गदर्शन और विश्वास के बिना यह संभव नहीं था।”
वान्या शर्मा की यह ऐतिहासिक जीत इस बात का सशक्त प्रमाण है कि भारतीय योग परंपरा आज भी वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत पहचान बनाए हुए है। इतनी कम उम्र में प्राप्त यह अंतरराष्ट्रीय सफलता उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का उज्ज्वल स्रोत बनाती है।