Expressway: जाने क्या होते हैं ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे? सरकार कर रही इन पर 6 लाख करोड़ खर्च
जाने ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे क्या होते हैं। Greenfield Expressway
जानकारी के मुताबिक, ऐसे हाईवे जिन पर चढ़ने-उतरने के लिए एग्जिट पॉइंट कम होते हैं और इनका एक्सेस कंट्रोल्ड होता है, उन्हें एक्सप्रेसवे कहा जाता है। इसलिए आपने देखा होगा कि किसी भी एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ रास्ते भर गार्ड रेल या क्रैश बैरियर लगाए जाते हैं, ताकि कोई भी कहीं से भी सड़क पर एंट्री न लगा सके।
मिली जानकारी के अनुसार, एक्सेस कंट्रोल करने से वहां की मैक्सिमम स्पीड बढ़ाना संभव होता है क्योंकि वहां अचानक किसी वाहन के सड़क पर आने की गुंजाइश न के बराबर होती है। एक्सप्रेसवे 2 तरह के होते हैं। ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड। Greenfield Expressway
क्या होते हैं ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे
जानकारी के मुताबिक, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उन एक्सप्रेसवेज को कहा जाता है जो बिलकुल नए बनाए जाते हैं। यानी उनका निर्माण जीरो से होता है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण होता है नई सड़क बिछाई जाती है और उसके आसपास जो भी सुविधाएं जरूरी हैं वो बिल्ड की जाती है। Greenfield Expressway
मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे या अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे इसका उदाहरण हैं। इन्हें ग्रीनफील्ड इसलिए कहा जाता है क्योंकि आमतौर पर यहां गांवों को उन जमीनों पर बनते हैं जिन पर पहले से कोई इफ्रांस्ट्रक्चर नहीं होता है, यानी खाली ग्रीन फील्ड पर इनका निर्माण किया जाता है। कोई भी ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो ग्रामीण इलाकों की जमीन पर जीरो से बनाया जाता है उसे ग्रीनफील्ड इंफ्रा कहा जा सकता है।
क्या होते हैं ब्राउनफील्ड एक्सप्रेसवे Greenfield Expressway
जानकारी के मुताबिक, ब्राउनफील्ड एक्सप्रेसवे ग्रीनफील्ड के उलट होते हैं। जहां पहले से ही कोई सड़क बनी हुई है उसी को अगर एक्सपेंड कर दिया जाए या एक्सप्रेसवे के रूप में डेवलप कर दिया जाए तो उसे ब्राउनफील्ड एक्सप्रेसवे कहा जाता है। इसे आमतौर शहरों में बनाया जाता है, जहां नई जमीन खोजना मुश्किल होता है जिस पर पहले से कोई स्ट्रक्चर न बना हो। Greenfield Expressway
मिली जानकारी के अनुसार, इसलिए कई बार ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का कुछ पार्ट ब्राउनफील्ड के तौर पर बिल्ड कर दिया जाता है। यानी पहले से मौजूद हाईवे को एक्सप्रेसवे में बदलकर वहां एक्सेस को सीमित कर दिया जाता है। बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे इसका उदाहरण है।