चंडीगढ़: हरियाणा सरकार अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की शैक्षणिक प्रगति और करियर ट्रैकिंग के लिए एक नई योजना लाने जा रही है। यह पहल छात्रों की भविष्य की उपलब्धियों को रिकॉर्ड करने और उनके करियर मार्ग को समझने में मदद करेगी।
अब तक नहीं था कोई रिकॉर्ड
अक्सर देखा जाता है कि सरकारी स्कूलों के छात्र डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस-आईपीएस अधिकारी या अन्य प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचने का सपना देखते हैं, लेकिन सरकार के पास ऐसा कोई आधिकारिक डेटा नहीं है, जिससे यह पता चल सके कि कितने छात्र अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान समालखा विधायक मनमोहन भड़ाना ने यह मुद्दा उठाया और सरकार से सवाल किया कि क्या राज्य के सरकारी स्कूलों से पढ़कर निकलने वाले छात्रों का कोई ट्रैकिंग सिस्टम मौजूद है?
शिक्षा मंत्री का जवाब
इसके जवाब में हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल सिंह ढांडा ने कहा कि अभी तक सरकार के पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, सरकार अब इस दिशा में कदम बढ़ा रही है और एक नई ट्रैकिंग योजना पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस योजना की व्यवहारिकता का अध्ययन किया जाएगा और इसके सफल क्रियान्वयन के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इस सिस्टम के तहत सरकारी स्कूलों से पास आउट होने वाले छात्रों की शैक्षणिक यात्रा और करियर प्रगति का विश्लेषण किया जा सकेगा।
कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर
हरियाणा सरकार शिक्षा क्षेत्र के विस्तार पर विशेष ध्यान दे रही है। राज्य में नए कॉलेज खोलने और शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तेज करने के साथ-साथ मौजूदा कॉलेजों में खाली सीटों को भरने पर भी जोर दिया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता पहले से मौजूद संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही, भविष्य में छात्रों की ट्रैकिंग योजना लागू होने से सरकार को नीतियां बनाने में भी मदद मिलेगी।
क्या होगा फायदा?
- विद्यार्थियों के करियर ग्रोथ का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा
- सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा
- छात्रों को सही मार्गदर्शन देने में मदद मिलेगी
- सरकार को अपनी नीतियों को और प्रभावी बनाने में सहूलियत होगी
हरियाणा सरकार की यह नई योजना छात्रों की उपलब्धियों को ट्रैक करने और शिक्षा नीति को और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। अगर यह योजना सही तरीके से लागू होती है, तो सरकारी स्कूलों के छात्रों को करियर के नए अवसर मिल सकते हैं और सरकार को भी शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए ठोस रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।