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Punjab And Haryana Highcourt: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की खराब लिखावट पर जताई नाराजगी, सुधार के दिए सख्त निर्देश



पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की अस्पष्ट और अपठनीय लिखावट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने डॉक्टरों की लिखावट को ‘आश्चर्यजनक और भयावह’ बताते हुए कहा कि तकनीकी युग में भी मेडिकल रिपोर्ट और प्रिस्क्रिप्शन को स्पष्ट रूप से न लिखा जाना एक गंभीर समस्या है। कोर्ट ने इसे मरीजों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मामला बताते हुए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन को इसे ठीक करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

मेडिकल-लीगल रिपोर्ट पढ़ना हुआ मुश्किल, कोर्ट ने जताई आपत्ति

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब एक मेडिकल-लीगल रिपोर्ट में दी गई जानकारी इतनी अस्पष्ट और अपठनीय थी कि उसे समझना संभव नहीं था। जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि डॉक्टरों को अपनी लिखावट सुधारने की जरूरत है, ताकि मरीजों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी मिल सके।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग देगा सहयोग

कोर्ट ने इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए पंजाब और हरियाणा के महाधिवक्ताओं, चंडीगढ़ के वरिष्ठ स्थायी वकील और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से सहयोग मांगा है। साथ ही, न्यायालय ने अधिवक्ता तनु बेदी को इस मामले में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया है, जो इस मुद्दे पर कोर्ट की सहायता करेंगी।

तकनीकी युग में हाथ से लिखना क्यों?

कोर्ट ने सवाल उठाया कि आधुनिक डिजिटल दौर में भी सरकारी डॉक्टर मेडिकल रिपोर्ट और प्रिस्क्रिप्शन हाथ से ही क्यों लिखते हैं? और वह भी इतनी खराब लिखावट में, जिसे शायद ही कोई समझ सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि कई बार डॉक्टरों की लिखावट इतनी जटिल होती है कि केवल कुछ डॉक्टरों और केमिस्टों को ही समझ आती है, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

मामला क्यों आया कोर्ट के सामने?

इस मामले में अधिवक्ता आदित्य सांघी के माध्यम से राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने पाया कि यह समस्या सिर्फ पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चंडीगढ़ में भी एक आम मुद्दा है। इसलिए अदालत ने पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन को भी इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।

जीवन के अधिकार से जुड़ा मामला

कोर्ट ने डॉक्टरों की लिखावट को मरीजों के मौलिक अधिकारों से जोड़ा और कहा कि स्वास्थ्य और उपचार का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार) का अभिन्न हिस्सा है। मरीज को अपनी चिकित्सा स्थिति की पूरी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है, ताकि वह अपने इलाज को लेकर सही फैसला ले सके।

डॉक्टरों के लिए सख्त निर्देश, स्पष्ट लिखावट होगी अनिवार्य

कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सरकारी और निजी सभी डॉक्टरों को स्पष्ट और पढ़ने योग्य लिखावट में मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन और रिपोर्ट लिखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का मानना है कि इससे मरीजों को सही इलाज मिलने में मदद मिलेगी और गलत दवाएं देने जैसी गंभीर त्रुटियों से बचा जा सकेगा

अब डॉक्टरों को करना होगा बदलाव

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में डॉक्टरों को अपनी लिखावट सुधारनी होगी। जल्द ही इस पर कोई नई गाइडलाइनभी आ सकती है, जिसमें डॉक्टरों को डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन या टाइप किए गए मेडिकल नोट्स देने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

क्या बदलाव हो सकते हैं?

 डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन की अनिवार्यता
 साफ और स्पष्ट लिखावट में पर्चियां देने का निर्देश
 मरीजों को उनकी दवाओं और इलाज की स्पष्ट जानकारी देने की व्यवस्था

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