Mandi Bhav Today: धान की कीमतों में भारी गिरावट से किसान परेशान, कपास के अच्छे दाम से मिली राहत
जींद: हरियाणा के धान उत्पादक किसानों में फसल के गिरते दामों को लेकर गहरी निराशा छाई हुई है। खासतौर पर जींद जिले की उचाना मंडी में इस बार 1121 धान की किस्म के भाव में भारी गिरावट दर्ज की गई है। मंडी में धान लेकर पहुंचे किसानों का कहना है कि भाव कम मिलने के कारण उनकी लागत भी पूरी नहीं हो रही है। खासतौर पर ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
1121 धान की कीमतों में 700 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट
उचाना की अनाज मंडी में इस बार 1121 धान की कीमतें 2,450 से 3,950 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं।
पिछले साल यही धान 4,400 से 4,575 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बिका था।
इस बार 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
धान की आवक बढ़ी, लेकिन कीमतें गिरीं
मार्केट कमेटी के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार धान की आवक पिछले साल की तुलना में अधिक हुई है।
अब तक कुल 3,99,080 क्विंटल धान मंडी में आ चुका है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 3,59,352 क्विंटल धान की आवक हुई थी।
यानी इस साल 39,728 क्विंटल अधिक धान बाजार में आया, जिससे मांग की तुलना में आपूर्ति बढ़ने से कीमतों में गिरावट आ गई।
मार्केट कमेटी सचिव ने बताया कि किसानों को उम्मीद थी कि भाव बढ़ेंगे, इसलिए कई किसानों ने धान घर पर स्टोर कर रखा था, लेकिन सीजन के अंत तक भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जिससे किसानों में मायूसी साफ झलक रही है।
कपास की कीमतों में उछाल, किसानों को राहत
जहां एक ओर धान के किसानों को नुकसान हुआ है, वहीं कपास के दामों में बढ़ोतरी से किसानों को राहत मिली है।
इस साल कपास की कीमतें 6,190 से 7,324 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं।
पिछले साल यही भाव 5,000 से 6,695 रुपये प्रति क्विंटल था।
हालांकि, इस बार कपास की आवक में गिरावट आई है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं।
किसानों का कहना है कि धान के नुकसान की भरपाई कपास के बढ़े हुए दामों से हो सकती है।
किसानों की मांग: सरकार करे दखल
धान उत्पादक किसानों ने सरकार से उचित समर्थन मूल्य (MSP) देने और बाजार में स्थिरता लाने की मांग की है।
किसानों का कहना है कि यदि सरकार उचित मूल्य नहीं दिलाएगी, तो धान की खेती करना मुश्किल हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में सरकार को हस्तक्षेप कर किसानों को राहत देनी होगी।
धान के कम दामों से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है, जबकि कपास की कीमतों में उछाल ने कुछ राहत दी है।
किसानों को उम्मीद थी कि सीजन के अंत तक भाव सुधरेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अधिक धान की आवक के कारण कीमतें गिरीं, जबकि कपास की कम आवक ने उसके दाम बढ़ा दिए।
किसानों ने सरकार से उचित समर्थन मूल्य देने की मांग की है, ताकि उन्हें आर्थिक राहत मिल सके।