हरियाणा में जजों की भारी कमी, पूरे राज्य में 230 जज के पद खाली, 14.49 लाख से अधिक लंबित मामले
Haryana News: हरियाणा और पंजाब के जिला न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जजों की भारी कमी बनी हुई है। हरियाणा में 230 और पंजाब में 81 जजों के पद खाली हैं। यह जानकारी 6 फरवरी को राज्यसभा में सांसद सुष्मिता देव द्वारा पूछे गए एक अस्थारित प्रश्न के जवाब में दी गई।
हरियाणा और पंजाब में न्यायिक पदों की स्थिति
हरियाणा के जिला न्यायालयों में स्वीकृत 781 न्यायिक अधिकारियों में से केवल 551 कार्यरत हैं, जबकि पंजाब में 804 में से 723 जज कार्यरत हैं। इसका मतलब है कि हरियाणा में 29% और पंजाब में 10% पद खाली पड़े हैं।
इसके अलावा, अंबाला से सांसद वरुण चौधरी द्वारा पूछे गए एक अन्य प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी गई कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी 85 स्वीकृत पदों में से केवल 51 जज कार्यरत हैं, जिससे 40% पद खाली हैं।
अदालती ढांचे और संसाधनों की कमी
कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में बताया कि हरियाणा में 583 कोर्ट हॉल हैं, जबकि स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या के हिसाब से 198 अतिरिक्त कोर्ट हॉल की जरूरत है। हालांकि, वर्तमान में केवल 75 कोर्ट हॉल का निर्माण चल रहा है। इसके अलावा, जजों के लिए 574 सरकारी आवास उपलब्ध हैं, जबकि 207 और आवासों की जरूरत है, लेकिन केवल 65 निर्माणाधीन हैं।
हरियाणा में 14.49 लाख से अधिक लंबित मामले
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार, हरियाणा के जिला न्यायालयों में इस समय 14.49 लाख मामले लंबित हैं। इनमें से 13 मामले 30 साल से अधिक समय से लंबित हैं। हरियाणा में सबसे पुराना मामला 6 नवंबर 1979 को कैथल में दर्ज किया गया था, जो कि एक सिविल मुकदमा है और 18 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
केवल जजों की कमी ही वजह नहीं - सरकार
मेघवाल ने संसद में बताया कि जजों की कमी लंबित मामलों का एकमात्र कारण नहीं है। उन्होंने कहा, "अदालती मामलों की देरी के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें भौतिक अधोसंरचना, सहायक स्टाफ की उपलब्धता, साक्ष्यों की जटिलता, जांच एजेंसियों, गवाहों और वकीलों का सहयोग, और अदालती नियमों का सही अनुपालन शामिल है।"
इसके अलावा, अदालतों में मामलों के निपटारे के लिए निर्धारित समय-सीमा की कमी, बार-बार सुनवाई टलना, और मामलों की प्रभावी निगरानी एवं वर्गीकरण न होना भी प्रमुख कारण हैं।
पुराने मामलों के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट की कार्ययोजना
सांसद नीरज शेखर के एक अन्य प्रश्न के जवाब में, मेघवाल ने बताया कि अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने 'जिला न्यायपालिका में मामलों के निपटारे की योजना' तैयार की थी। इस योजना के तहत 10, 20 और 30 वर्षों से लंबित मामलों को प्राथमिकता देकर तेजी से निपटाने, न्यायाधीशों के बीच कार्यभार का संतुलन बनाने और रोक दिए गए मामलों को शीघ्र सुलझाने पर जोर दिया गया है।
न्यायपालिका में रिक्त पदों को भरना और लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करना न्याय प्रणाली की पारदर्शिता और प्रभावशीलता के लिए बेहद आवश्यक है।