सिरसा और जींद यूनिवर्सिटी में हरियाणा सरकार ने अचानक लगाई भर्ती प्रक्रिया पर रोक, छात्रों और शिक्षकों में नाराजगी



Haryana News: सरकार के अचानक लिए गए फैसले से चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (सीडीएलयू), सिरसा और चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय (सीआरएसयू), जींद में शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की भर्ती प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। यह आदेश तब आया है जब केवल एक सप्ताह पहले आठ राज्य विश्वविद्यालयों, जिनमें सीडीएलयू भी शामिल है, को मानक संचालन प्रक्रिया के तहत रिक्त पदों को भरने की अनुमति दी गई थी।

विश्वविद्यालय प्रशासन असमंजस में

"भर्ती प्रक्रिया को अचानक रोक दिए जाने से दोनों विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक अधिकारी हैरान हैं, विशेष रूप से सीडीएलयू में, जहां नई नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू होने वाली थी। यह रोक ऐसे समय में आई है जब दोनों विश्वविद्यालय नियमित शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ की भारी कमी का सामना कर रहे हैं," सूत्रों ने बताया।

सूत्रों के अनुसार, सीडीएलयू में सरकार द्वारा स्वीकृत 143 शिक्षण पदों में से 76 खाली पड़े हैं, जिसके चलते प्रशासन को 62 अनुबंधित प्रोफेसरों और 97 पार्ट-टाइम शिक्षकों की नियुक्ति करनी पड़ी है।

छात्रों में बढ़ती नाराजगी

सरकार के इस फैसले से छात्रों में भी निराशा है, क्योंकि वे लंबे समय से स्थायी स्टाफ की मांग कर रहे थे।

डॉ. अंबेडकर स्टूडेंट काउंसिल ऑफ हरियाणा, सिरसा के अध्यक्ष रविंदर सरोहा ने कहा कि स्थायी फैकल्टी की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, "छात्रों ने बार-बार अनियमित कक्षाओं और अकादमिक व्यवधान को लेकर शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन सरकार के इस फैसले से उनके भविष्य को लेकर और भी चिंता बढ़ गई है।"

प्रशासनिक योजना पर भी पड़ा असर

सीडीएलयू के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि भर्ती प्रक्रिया पर अचानक लगी रोक से प्रशासनिक योजना भी ठप हो गई है। उन्होंने कहा, "इतनी अधिक रिक्तियों के चलते छात्र असमंजस में हैं कि उन्हें कब स्थायी शिक्षक मिलेंगे ताकि उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके। सरकार को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और सीडीएलयू को खाली पद भरने की अनुमति देनी चाहिए।"

सीडीएलयू के रजिस्ट्रार, डॉ. राजेश बंसल ने सरकार के इस आदेश की पुष्टि की है।

शिक्षकों की भी चिंता बढ़ी

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. कुलदीप नारा ने इस निर्णय को चौंकाने वाला बताया। उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय में स्वीकृत पदों का बड़ा हिस्सा खाली है। शैक्षणिक कार्यों को संभालने के लिए शिक्षकों को अनुबंध और पार्ट-टाइम आधार पर नियुक्त किया गया है। छात्रों के हित में खाली पदों को भरना बहुत जरूरी है।"

सरकार के इस फैसले से छात्रों, शिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अब सभी की नजर सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई है।

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