हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल ईवीएम की वेरिफिकेशन को लेकर 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई



Haryana News: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और नई सरकार भी गठित हो चुकी है, लेकिन ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर अब भी जारी है। कांग्रेस नेताओं ने चुनाव के दौरान इस्तेमाल की गई ईवीएम के सत्यापन की मांग की थी, जिसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी और अब इस पर 11 फरवरी को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका और ईवीएम सत्यापन की मांग

हरियाणा के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक, करण सिंह दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईवीएम के सत्यापन के लिए स्पष्ट नीति बनाने की मांग की थी। इस याचिका में ईवीएम से संबंधित सभी कंपोनेंट्स की जांच की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिए गए आदेशों का पालन किया जाए।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी सुनवाई

इस याचिका को शुक्रवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, लेकिन पीठ ने कहा कि इसे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। अब इस मामले पर 11 फरवरी को सुनवाई होगी और यह पीठ ईवीएम सत्यापन की मांग वाली याचिका पर अपना निर्णय देगी।

ईवीएम कंपोनेंट की जांच की मांग

याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग से ईवीएम के चार प्रमुख कंपोनेंट्स—कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, वीवीपैट और सिंगल लोडिंग यूनिट के माइक्रोकंट्रोलर की जांच करने का प्रोटोकॉल लागू करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को ईवीएम के बर्न्ट मेमोरी की जांच करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद चुनाव आयोग ने इस संदर्भ में अब तक कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं।

हरियाणा चुनाव परिणाम: बीजेपी को 48 सीटें मिलीं

हरियाणा में अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव हुए थे। चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 48 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 37 सीटें हासिल हुई थीं। शुरुआत में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कांग्रेस को अधिक सीटें मिल सकती हैं, लेकिन चुनाव के अंतिम रुझानों में बीजेपी ने तेजी पकड़ी और राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही। बीजेपी की इस जीत ने राजनीतिक गलियारों में कई चर्चाओं को जन्म दिया और ईवीएम पर सवाल उठाए गए।

कांग्रेस नेताओं के आरोप और बीजेपी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए। उन्होंने चुनाव आयोग से ईवीएम के सत्यापन की मांग की थी ताकि चुनाव के परिणाम पर किसी प्रकार का संदेह न रहे। दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि चुनाव में पूरी पारदर्शिता बरती गई थी और ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं। बीजेपी ने यह भी कहा कि यदि किसी को किसी प्रकार की शिकायत हो, तो उसे चुनाव आयोग में दर्ज कराया जा सकता है।

क्या है भविष्य की संभावना?

अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट 11 फरवरी को इस मामले पर क्या फैसला करता है। यदि कोर्ट ने ईवीएम के सत्यापन की अनुमति दी, तो यह चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। वहीं, यदि कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया, तो ईवीएम पर उठ रहे सवालों का जवाब देना मुश्किल हो सकता है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनावों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी की संभावना न हो।

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