हरियाणा में किसानों की फसल बीमा में बड़ा घोटाला, बिना जानकारी चना फसल के नाम पर हुआ बीमा



हिसार: हरियाणा के हिसार जिले में किसानों के साथ फसल बीमा घोटाले का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। किसानों द्वारा गेहूं और सरसों की फसल बोई गई है, लेकिन उनके नाम पर चना (काबुली चना) फसल का बीमा करवा दिया गया। इस धोखाधड़ी को लेकर किसानों ने कृषि उप निदेशक (DDA) के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है।

कैसे हुआ फर्जी बीमा घोटाला?

सूत्रों के अनुसार, जालसाजों ने 'किरायेदारी प्रमाणपत्र' (Tenant Certificate) का उपयोग करते हुए इसे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या किसी अन्य एजेंसी में जमा कराकर फसल का बीमा कराया। यह प्रमाण पत्र यह दर्शाता है कि उन्होंने खेती के लिए जमीन पट्टे पर ली है, जबकि वास्तविक किसान इससे अनजान थे।

द ट्रिब्यून में में छपी दिपेंद्र देशवाल की रिपोर्ट के मुताबिक भूप सिंह नामक किसान, जिसने अपने चार एकड़ खेत में गेहूं और सरसों की फसल बोई थी, को तब हैरानी हुई जब उसे पता चला कि उसकी जमीन का बीमा चना फसल के नाम पर किया गया है। उन्होंने कहा, “मेरे पास किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) भी नहीं है और मैंने कभी अपनी फसल का बीमा नहीं कराया। मैं हैरान हूं कि मेरी जमीन का बीमा इस रबी सीजन में कैसे हो गया।”

इसी तरह, सूरज भान नामक किसान, जो अपनी सात एकड़ भूमि पर सरसों और गेहूं का बीमा कराने के लिए CSC गया था, को बताया गया कि उसकी भूमि पहले ही चना फसल के लिए बीमित हो चुकी है।

गांव के अन्य किसानों जैसे राजेंद्र और कई अन्य को भी इसी प्रकार की धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा, जिसके बाद किसानों ने कृषि विभाग में इसकी शिकायत की।


200 किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी, मामला उजागर

गांववासियों ने ऐसे खेतों की सूची तैयार की जिनका बीमा बाहरी व्यक्तियों द्वारा करवाया गया था, जो गांव या हिसार जिले के निवासी भी नहीं थे। इस सूची को व्हाट्सएप समूहों में साझा कर किसानों को सतर्क किया गया।

गांव के एक किसान ने कहा, "हमारे गांव के किसानों ने जमीन को किसी बाहरी व्यक्ति को पट्टे पर नहीं दिया है, फिर भी बाहरी लोगों ने हमारी जमीन का बीमा करवा लिया है। लगभग 200 किसान इस घोटाले का शिकार हुए हैं।"


शिकायत के बाद कृषि विभाग ने दिए जांच के आदेश

कृषि उप निदेशक (DDA) राजबीर सिंह ने शिकायत मिलने के बाद जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, "किसानों की सूची बीमा कंपनी को भेज दी गई है, जो डेटा की जांच कर रही है। यदि गलत तरीके से बीमा कराया गया है, तो बीमा राशि को वापस किया जाएगा।"

इसके अलावा, यदि किसान चाहें तो पुलिस में मामला दर्ज कराकर धोखाधड़ी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।


पहले भी हो चुके हैं ऐसे घोटाले

सूत्रों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों को ठगा गया हो। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां जालसाजों ने किसानों के बैंक खाते और मोबाइल नंबर का उपयोग करके फसल बीमा करवा लिया।

रोहणात गांव (भिवानी जिला) में इसी तरह के मामले में लगभग 100 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई थी।


जांच में क्या होगा?

  1. डेटा सत्यापन: सभी बीमित किसानों की भूमि का रिकॉर्ड दोबारा जांचा जाएगा।
  2. फर्जी बीमा रद्द: गलत तरीके से बीमित फसलों की पहचान कर, बीमा निरस्त किया जाएगा।
  3. आर्थिक हानि की भरपाई: किसानों की बिना सहमति बीमा की गई जमीनों की प्रीमियम राशि वापस दिलाई जाएगी।
  4. कानूनी कार्रवाई: दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

किसानों को सुझाव

  • अपनी भूमि का समय-समय पर CSC या कृषि विभाग से सत्यापन कराएं।
  • बीमा कराने से पहले दस्तावेजों की गहन जांच करें।
  • अगर संदेह हो तो तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करें।
  • व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से एक-दूसरे को सतर्क रखें।

हरियाणा में फसल बीमा से जुड़े इस बड़े घोटाले ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। किसानों को सतर्क रहने और समय रहते उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। कृषि विभाग द्वारा जारी जांच के परिणामों का इंतजार है, लेकिन भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।

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