हाईकोर्ट का हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी पर सख्त रुख, आदेश का पालन नहीं हुआ तो जेब से देने होंगे 50,000 रुपये

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Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अवमानना के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए आदेश जारी किए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि 12 फरवरी 2024 के आदेश का पालन करते हुए 4 फरवरी 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई, तो संबंधित अधिकारी को वर्चुअल सुनवाई में उपस्थित होना होगा। इसके साथ ही, उन्हें ₹50,000 का जुर्माना भी भरना पड़ेगा।


मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला लोक संपर्क विभाग की डीआईपीआरओ सोनिया व अन्य द्वारा दायर अवमानना याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि उन्हें वेतनमान के मामले में न्याय नहीं मिल रहा है।

क्या है विवाद?

  • 2 अगस्त 2022 को जारी आदेश के तहत कर्मचारियों को विशेष वेतनमान दिया गया था।
  • यह लाभ उन कर्मचारियों को भी दिया गया है, जो याचिकाकर्ताओं से कनिष्ठ हैं।
  • याचिकाकर्ताओं ने समान अधिकार के सिद्धांत के आधार पर वही वेतनमान देने की मांग की।

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने अपनी शिकायत 25 अप्रैल 2023 को एक प्रतिनिधित्व के माध्यम से सरकार के समक्ष उठाई थी। लेकिन, अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।


सरकार का कोर्ट में आश्वासन

सरकारी वकील ने 12 फरवरी 2024 को अदालत को आश्वस्त किया था कि यदि याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व लंबित है, तो इसे आठ सप्ताह के भीतर निपटाया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को आदेश का अनुपालन करने को कहा था।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं के अनुसार, आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ है, और मामला दस महीने से लंबित है।


हाईकोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट के जस्टिस हरकेश मनुजा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों और सरकार को नोटिस जारी किया है।

  • अनुपालन रिपोर्ट दाखिल न होने पर जुर्माने और उपस्थिति का आदेश:
    यदि 4 फरवरी 2025 तक अनुपालन नहीं हुआ, तो संबंधित अधिकारी को वर्चुअल सुनवाई में उपस्थित होना होगा और ₹50,000 का जुर्माना भरना पड़ेगा।

  • अर्जेन्ट सूची में मामला दर्ज:
    अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे अर्जेन्ट सूची में शामिल करने का निर्देश दिया है।


याचिकाकर्ताओं की मांग

याचिकाकर्ताओं ने विभाग के आयुक्त और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करते हुए कार्रवाई की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि समान अधिकार के सिद्धांत के आधार पर उन्हें भी वही वेतनमान मिलना चाहिए, जो उनके कनिष्ठों को दिया गया है।

क्या है समान अधिकार का सिद्धांत?

यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि समान कार्य करने वाले कर्मचारियों को समान वेतन और सुविधाएं मिलें। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनके अधिकारों का हनन किया गया है, जो अवमानना के दायरे में आता है।

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