फर्जी आधार कार्ड मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत से किया इनकार
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल करने के आरोप में एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। आरोपी ने POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार एक अन्य आरोपी को जमानत दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया था।
🔍 कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?
आरोपी के पिता ने एक व्यक्ति को अपने बेटे के लिए जमानत की व्यवस्था करने के लिए रखा था, जिसने फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया। उसने रणधीर सिंह के नाम पर सनी नामक व्यक्ति को जमानतदार बनाकर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ, जब अदालत के रीडर ने शिकायत दर्ज कराई।
⚖ कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु की अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सनी के साथ मिलकर न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि रणधीर सिंह कभी भी जमानतदार नहीं बने थे, न ही उन्होंने किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे।
📝 याचिकाकर्ता का बचाव
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उसका बेटा POCSO मामले में गिरफ्तार था और अदालत से उसे जमानत मिल चुकी थी। इसी कारण उसने अपने बेटे की जमानत के लिए दस्तावेज़ी प्रक्रिया पूरी कराई।
याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि उसने पंचकूला कोर्ट परिसर में पहली बार सनी से मुलाकात की थी और वह इस तथ्य से अनजान था कि सनी खुद को रणधीर सिंह के रूप में प्रस्तुत कर रहा था।
👨⚖️ सरकार का पक्ष
राज्य सरकार के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ जरूरी होगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि रणधीर सिंह की पहचान गलत तरीके से क्यों प्रस्तुत की गई और इस पूरे फर्जीवाड़े में कौन-कौन शामिल था।
🚨 हाईकोर्ट का फैसला
कोर्ट ने माना कि यह गंभीर अपराध है और सही तथ्यों का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता की पुलिस हिरासत में पूछताछ जरूरी है। इसलिए अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।