सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने सैनी सरकार को घेरा, कहा- परिवार पहचान पत्र बना 'परिवार परेशान पत्र'
Haryana News: पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा सरकार पर परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि पीपीपी जनता के लिए "परिवार परेशान पत्र" बनकर रह गया है। उन्होंने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी सरकार को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया है ताकि किसी भी नागरिक को पीपीपी की कमी के कारण आवश्यक या मौलिक सेवाओं से वंचित न रहना पड़े।
हाईकोर्ट का आदेश: अनिवार्यता खत्म हो
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पीपीपी के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि मौलिक सेवाओं जैसे पीने का पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, बिजली, स्वच्छता, और आपातकालीन सेवाओं के लिए पीपीपी को अनिवार्य मानना गलत है। अदालत ने इसे स्वैच्छिक प्रक्रिया बताते हुए कहा कि सरकार को सभी आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए ताकि कोई भी नागरिक जरूरी सेवाओं से वंचित न हो।
जनता पर जबरन थोपा गया पीपीपी
रविवार को चंडीगढ़ से जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि परिवार पहचान पत्र सरकार ने जनता पर जबरन थोपा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रणाली में खामियां होने के बावजूद सरकार ने जनता को इसके कारण परेशानी में डाल रखा है। सैलजा ने कहा कि पीपीपी के नाम पर घोटाला हुआ है और इसकी त्रुटियां आज तक दूर नहीं की गई हैं।
पीपीपी में दी गई जानकारी पर भरोसा नहीं
सैलजा ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार पीपीपी में दी गई जानकारी को जरूरत पड़ने पर मान्यता नहीं देती और अलग से प्रमाण पत्र मांगती है। उन्होंने कहा, "ऐसे में पीपीपी का औचित्य ही क्या है?"
सरकार से गलती मानने की मांग
सैलजा ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद सरकार को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए और पीपीपी की अनिवार्यता को खत्म करना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि पीपीपी के कारण जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।