Manesar Land Scame: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकोर्ट से झटका, पांच सालों से रूका था मामला
Haryana News: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मानेसर भूमि घोटाले में बड़ा झटका देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि ट्रायल कोर्ट में सुनवाई पर लगी रोक 27 जनवरी 2025 के बाद हटा दी जाएगी। इस घोटाले में हुड्डा मुख्य आरोपियों में से एक हैं, और उनके साथ कुछ पूर्व नौकरशाह और बिल्डर भी आरोपी हैं।
मुख्य आरोपी और घोटाले की पृष्ठभूमि
इस मामले में हुड्डा के साथ राजीव अरोड़ा, एसएस ढिल्लों, छतर सिंह और एमएल तायल जैसे वरिष्ठ नौकरशाहों के नाम शामिल हैं। ये सभी अलग-अलग समय पर हुड्डा के कार्यकाल में अहम पदों पर रहे थे। आरोपियों में कई नामी बिल्डर भी शामिल हैं।
चार साल से रुका हुआ है मुकदमा
मुकदमा दिसंबर 2020 से रुका हुआ था, जब पूर्व नौकरशाहों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस पर रोक लगवा दी थी। सीबीआई ने इस रोक को हटाने के लिए अदालत में आवेदन दायर किया था।
हाईकोर्ट का आदेश
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने सीबीआई के आवेदन पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि 27 जनवरी 2025 को इस मामले की अंतिम सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तारीख के बाद किसी भी परिस्थिति में स्थगन जारी नहीं रहेगा।
- सीबीआई की तैयारी: अदालत ने सीबीआई को सभी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दिया है। इन दलीलों की कॉपी पहले से ही विपक्षी वकील को उपलब्ध करानी होगी।
- याचिकाकर्ताओं का पक्ष: याचिकाकर्ताओं के वकीलों को भी 27 जनवरी से पहले अपनी लिखित दलीलें कोर्ट में जमा करनी होंगी।
आरोपों का विवरण
पूर्व गृह सचिव राजीव अरोड़ा ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका में दावा किया था कि सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत मंजूरी लिए बिना कार्यवाही की है। उन्होंने विशेष सीबीआई अदालत पंचकूला द्वारा उन्हें धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोपी बनाए जाने को भी चुनौती दी थी।
सीबीआई की कार्रवाई और अगली सुनवाई
- सीबीआई के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि चार साल से रुके इस मामले पर शीघ्र निर्णय लिया जाए।
- 27 जनवरी की सुनवाई के बाद इस मामले में अंतरिम आदेश लागू नहीं रहेगा।
घोटाले का असर
मानेसर भूमि घोटाला हरियाणा के सबसे बड़े विवादों में से एक है, जिसमें सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों और बिल्डरों के बीच मिलीभगत के आरोप हैं। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में कानूनी प्रक्रिया को तेजी मिलने की उम्मीद है।