हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला: महाराजा सूरजमल का इतिहास 8वीं कक्षा की किताबों में शामिल



नया हरियाणा : हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश की 8वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों में अब भरतपुर के महाराजा सूरजमल का इतिहास शामिल किया जाएगा। हरियाणा में जाट समुदाय की आबादी करीब 22.2% है और यह निर्णय उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

भरतपुर राजपरिवार ने जताया आभार

भरतपुर राजपरिवार के वंशज और पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने इस फैसले पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार जताया है। सिंह ने इसे जाट समुदाय के महापुरुषों के सम्मान की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।


जाट समुदाय को साधने की रणनीति

हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जाट समुदाय के बीच लगातार अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं।

  1. जाटों को बताया "देशभक्त कौम"
    मुख्यमंत्री सैनी ने जाट समुदाय को देशभक्त कौम बताते हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने की अपील की थी। इसका असर भी दिखाई दिया। लोकसभा चुनावों में कुछ सीटें गंवाने के बावजूद विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भिवानी, चरखी दादरी और जींद जैसे जाट बहुल इलाकों में जीत दर्ज की।

  2. जाट समाज के कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी
    मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जाट समाज से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी स्थिति मजबूत की है।

    • गुरुग्राम में जाट कल्याण सभा भवन का शिलान्यास।
    • हिसार में दानवीर सेठ छाजूराम जयंती पर आयोजित शताब्दी समारोह में भागीदारी।
    • सिरसा में भारतीय जाट विकास मंच के कार्यक्रम में महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस पर शामिल होना।

जाटों का ऐतिहासिक दबदबा

हरियाणा के 58 साल के इतिहास में 33 वर्षों तक जाट समुदाय के नेता मुख्यमंत्री पद पर रहे।
प्रमुख जाट मुख्यमंत्रियों में बंसीलाल, देवीलाल, ओम प्रकाश चौटाला, हुकुम सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हैं।

  • बंसीलाल: 3 बार मुख्यमंत्री।
  • ओपी चौटाला: 5 बार मुख्यमंत्री।
  • भूपेंद्र सिंह हुड्डा: 2 बार मुख्यमंत्री।

महाराजा सूरजमल के पाठ्यक्रम में शामिल होने की मांग

भारतीय जाट विकास मंच ने हाल ही में मांग उठाई थी कि महाराजा सूरजमल की जीवनी को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। हरियाणा सरकार ने इसे मंजूरी देकर जाट समुदाय के प्रति सम्मान प्रकट किया है।




हरियाणा सरकार के इस फैसले को चुनावी मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। महाराजा सूरजमल के इतिहास को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना न केवल जाट समुदाय को सम्मान देने वाला कदम है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए लाभकारी भी साबित हो सकता है।

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