हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस वजह से हारी, लोगों से नहीं हुई कोई गलती! वजह आई सामने

Haryana Congress


Haryana assembly Election 2024 Result: हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय से संगठन न होने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। सीनियर विधायक अशोक अरोड़ा ने पार्टी में संगठन की कमी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि इस कमजोरी का खामियाजा पार्टी को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 सालों में पार्टी में संगठन नहीं बन पाया है। इस दौरान दो प्रदेश अध्यक्षों ने इस्तीफा दिया, जबकि मौजूदा अध्यक्ष को पद संभाले लगभग पौने 3 साल हो चुके हैं, लेकिन संगठन अभी भी अस्तित्व में नहीं आ पाया है।


दीपक बाबरिया पर हार का ठीकरा

हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली हार के लिए अशोक अरोड़ा ने सीधे तौर पर प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, सहप्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि पार्टी जल्द ही संगठन का गठन करेगी और इसके लिए हाई कमान से सूची जारी होगी।

पिछले 10 सालों में संगठन का संघर्ष:

  • 2014: अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
    • भूपेंद्र हुड्डा और अशोक तंवर के बीच खींचतान के चलते संगठन में अस्थिरता बनी रही।
  • 2019: पार्टी के आंतरिक विवादों के चलते अशोक तंवर ने कांग्रेस छोड़ दी।
    • इसके बाद कुमारी सैलजा को अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन पार्टी की कलह जारी रही।
    • सैलजा की बैठकों में न तो भूपेंद्र हुड्डा और न ही अन्य विधायक शामिल हुए।
  • 2022: अंदरूनी कलह के चलते कुमारी सैलजा ने अप्रैल 2022 में इस्तीफा दे दिया।
  • 2022: उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन पौने 3 साल बीतने के बाद भी संगठन का गठन नहीं हो सका।

उदयभान और संगठन की स्थिति

मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने हाल ही में कहा था कि संगठन बनाने के लिए उन्होंने कई बार सूची प्रभारी दीपक बाबरिया को सौंपी है, लेकिन इसे अभी तक हाई कमान को नहीं भेजा गया।

कुलदीप बिश्नोई और कांग्रेस का विवाद:

  • कुमारी सैलजा के इस्तीफा देने के बाद कुलदीप बिश्नोई ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की।
  • लेकिन, भूपेंद्र हुड्डा ने उदयभान को अध्यक्ष बनवा दिया।
  • इस फैसले से नाराज होकर कुलदीप बिश्नोई ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में वोट नहीं दिया।
  • पार्टी ने इसके बाद उन्हें सभी पदों से हटा दिया, और अंततः 2022 में कुलदीप ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली।

भविष्य की राह और चुनौतियां

हरियाणा कांग्रेस में संगठन की कमी पार्टी की चुनावी रणनीति पर गहरा असर डाल रही है।

  • सीनियर नेताओं के विवाद: पार्टी के बड़े नेताओं के बीच खींचतान और आपसी मतभेद संगठन को कमजोर कर रहे हैं।
  • संगठन का अभाव: जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो रही है।
  • चुनावी तैयारियां: 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस को जल्द से जल्द संगठन का गठन करना होगा।

हरियाणा कांग्रेस के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह आंतरिक विवादों को सुलझाए और एक मजबूत संगठन तैयार करे। वरना, पार्टी को आगामी चुनावों में और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

Next Post Previous Post