हरियाणा में भूजल दोहन संकट, 136% के खतरनाक स्तर पर पहुंचा, कुरुक्षेत्र इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित
Haryana News: हरियाणा में भूजल का दोहन 136% तक पहुंच गया है, जो राज्य को उन छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में शामिल करता है, जहां भूजल का दोहन वार्षिक पुनर्भरण से अधिक हो गया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की रिपोर्ट के अनुसार, कुरुक्षेत्र इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित जिला है, जहां भूजल का दोहन 228.42% है, जबकि झज्जर में यह दर सबसे कम 51.01% दर्ज की गई है।
जिलावार भूजल दोहन दर
- कुरुक्षेत्र: 228.42%
- पानीपत: 222.11%
- गुरुग्राम: 212.77%
- कैथल: 190.24%
- फरीदाबाद: 180.89%
- फतेहाबाद: 176.99%
- करनाल: 173.85%
- हिसार: 88.63%
- पंचकूला: 62.28%
- रोहतक: 51.14%
- झज्जर: 51.01%
फरीदाबाद और गुरुग्राम, जो राज्य के सबसे अधिक आबादी वाले जिले हैं, में भूजल दोहन की दर 180.89% और 212.77% है, जो सुरक्षित सीमा से लगभग दोगुनी है। इसके विपरीत, पलवल में यह दर 94.48% है, जो फरीदाबाद की तुलना में लगभग आधी है।
हरियाणा की भूजल स्थिति
CGWB की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के कुल क्षेत्रफल का 60.48% हिस्सा (26,131.63 वर्ग किमी) अत्यधिक दोहन की श्रेणी में आता है, जबकि केवल 28.4% क्षेत्र (12,269.36 वर्ग किमी) को सुरक्षित माना गया है। इसके अतिरिक्त, 11.12% क्षेत्र को गंभीर या अर्ध-गंभीर श्रेणी में रखा गया है।
मानसून के बाद बढ़ता संकट
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून के बाद भूजल का दोहन तेजी से बढ़ता है, जिससे जलस्तर में गिरावट आती है। हरियाणा का वार्षिक भूजल पुनर्भरण 10.32 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) है, जिसमें से केवल 9.36 BCM ही उपयोग के लिए उपलब्ध है। पिछले वर्ष में भूजल दोहन दर 135.74% से बढ़कर 135.96% हो गई है।
समाधान और योजना
फरीदाबाद मेट्रो विकास प्राधिकरण (FMDA) के मुख्य अभियंता विशाल बंसल ने बताया कि भूजल पुनर्भरण और जल संचयन बढ़ाने के लिए एक व्यापक योजना बनाई जा रही है। इसके तहत फरीदाबाद में 100 एकड़ का जलाशय बनाने का प्रस्ताव शामिल है।
हरियाणा में बढ़ते भूजल संकट को देखते हुए केंद्रीय भूजल बोर्ड ने सतत जल प्रबंधन की सख्त जरूरत पर जोर दिया है। अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह संकट और गहराता जाएगा।