हरियाणा 9 खिलाड़ियों को खेल पुरस्कार; मनु भाकर को खेल रत्न पुरस्कार, झज्जर के गोरिया गांव में जश्न, देखिए पूरी लिस्ट
Haryana News: हरियाणा की शूटर मनु भाकर को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। पिछले साल पेरिस ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली मनु भाकर की इस उपलब्धि से उनके गांव गोरिया में जश्न का माहौल है। स्थानीय स्कूल में बच्चे और शिक्षक खुशी से नाचते नजर आए।
इसके साथ ही अन्य खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से नवाजा गया। इनमें नीतू घनघस, स्वीटी बूरा, संजय कालीरामन, अभिषेक नैन, सरबजोत सिंह, धर्मबीर नैन, अमन सहरावत और नवदीप सिंह को अर्जुन अवॉर्ड मिला। वहीं, हॉकी कोच संदीप सांगवान को द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
मनु भाकर: बॉक्सिंग से शूटिंग तक का सफर
झज्जर की मनु भाकर बचपन में बॉक्सिंग किया करती थीं और इसमें राष्ट्रीय मेडल भी जीते। लेकिन आंख पर पंच लगने की घटना के बाद उन्होंने बॉक्सिंग छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने मार्शल आर्ट्स, आर्चरी, टेनिस और स्केटिंग में हाथ आजमाया और मेडल जीते। अंततः उन्होंने शूटिंग को अपने करियर के रूप में चुना।
हालांकि, 2021 टोक्यो ओलंपिक में पिस्टल खराब होने के कारण क्वालिफिकेशन राउंड में बाहर होने के बाद वह शूटिंग छोड़ने का मन बना चुकी थीं। उनकी मां ने उनका मनोबल बढ़ाया, और उन्होंने वापसी करते हुए नेशनल चैंपियनशिप में हीना सिद्धू को हराकर फिर से अपनी पहचान बनाई। पेरिस ओलंपिक में डबल मेडल जीतने के बाद वह भारत की पहली महिला शूटर बन गईं जिन्होंने ऐसा इतिहास रचा।
सरबजोत सिंह: फुटबॉलर से ओलंपिक शूटर तक
अंबाला के सरबजोत सिंह के पिता किसान हैं। 13 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल के समर कैंप के दौरान शूटिंग में रुचि ली। फुटबॉलर बनने की चाह रखने वाले सरबजोत ने शूटिंग में करियर बनाने की ठानी। पिता ने खेल की महंगी लागत के बावजूद उनका साथ दिया। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में मनु भाकर के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता।
स्वीटी बूरा: कबड्डी से बॉक्सिंग तक का सफर
हिसार की स्वीटी बूरा ने गांव में कबड्डी खेलते हुए शुरुआत की। स्पोर्ट्स ट्रायल के दौरान कोच ने उनकी शारीरिक क्षमता को देखते हुए उन्हें बॉक्सिंग में करियर बनाने की सलाह दी। उन्होंने जल्दी ही अपनी क्षमता साबित की और 2023 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन बन गईं। उन्होंने इंडियन कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक निवास हुड्डा से शादी की है।
संजय कालीरामन: हॉकी की राह में संघर्ष
हिसार के संजय कालीरामन ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बनकर देश को गौरवान्वित किया। तंगी के कारण उन्होंने शुरुआत में दूसरों की हॉकी से प्रैक्टिस की। कोच राजेंद्र सिहाग ने उन्हें प्रशिक्षण दिया। संजय ने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 30 से अधिक मेडल जीते हैं।
अमन सहरावत: पिता के सपने को पूरा किया
झज्जर के अमन सहरावत ने 11 साल की उम्र में मां और छह महीने बाद पिता को खो दिया। पिता की प्रेरणा से उन्होंने कुश्ती में करियर बनाया। टोक्यो ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया को हराकर उन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया और पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
नीतू घनघस: पिता का बलिदान और बेटी की मेहनत
भिवानी की नीतू घनघस को बॉक्सिंग का शौक विजेंदर सिंह से प्रेरित होकर हुआ। उनके पिता जयभगवान ने चार साल तक बिना वेतन के छुट्टी लेकर बेटी को प्रशिक्षण दिलाया। नीतू ने विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में दमदार प्रदर्शन किया और 2023 में वर्ल्ड चैंपियन बनीं।
नवदीप सिंह: नीरज चोपड़ा से प्रेरित
पानीपत के नवदीप सिंह ने 2024 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता। बचपन में हाइट की समस्या और पहलवानी छोड़ने के बाद उन्होंने नीरज चोपड़ा से प्रेरणा लेकर जेवलिन थ्रो में करियर बनाया। उन्होंने एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप में भी शानदार प्रदर्शन किया।
अभिषेक नैन: चोट के बावजूद हॉकी में चमके
सोनीपत के अभिषेक नैन ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के ब्रॉन्ज मेडल में अहम भूमिका निभाई। 11 साल की उम्र में जामुन के पेड़ से गिरकर घायल होने के बावजूद उन्होंने हॉकी को करियर बनाया। वह 2024 हॉकी इंडिया लीग के दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी बने।
धर्मबीर नैन: हादसे के बाद पैरालंपिक गोल्ड
सोनीपत के धर्मबीर नैन ने रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने क्लब थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। 2024 में उन्हें "प्लेयर ऑफ द ईयर (पैरा)" का खिताब मिला।
पंजाब के खिलाड़ियों की उपलब्धि
पंजाब के हरमनप्रीत सिंह को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, जबकि जर्मनजीत और सुखजीत को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। हरमनप्रीत सिंह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हैं और अपने दमदार प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं।