हरियाणा में मंत्री चाहते है अपने पसंदीदा अफसर! तबादलों के अधिकार की सीएम से की मांग, फैसले का इंतजार
Haryana News: हरियाणा में नई सरकार बनने के बाद मंत्रियों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से कर्मचारियों के तबादलों के अधिकार की मांग की है। फिलहाल मंत्री ग्रुप डी के कर्मचारियों के तबादले करने के अधिकार चाहते हैं। यह मांग मंत्रियों ने अपने-अपने जिलों के विधायकों की ओर से उठाई है। हालांकि, सरकार ने इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री जल्द ही इस मुद्दे पर पार्टी हाईकमान से बातचीत कर सकते हैं।
तबादलों की पुरानी व्यवस्था
हरियाणा में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पहले भी कई बदलाव देखे गए हैं।
- हुड्डा सरकार के समय: मंत्रियों की मांग पर तबादलों के अधिकार दिए गए थे, लेकिन बाद में वापस ले लिए गए।
- मनोहर लाल सरकार के पहले कार्यकाल में: मंत्रियों को शांत करने के लिए हर साल एक-एक महीने के लिए ग्रुप डी कर्मचारियों के तबादले का अधिकार दिया जाता था।
- दूसरे कार्यकाल में: मंत्रियों को केवल 20 दिन के लिए यह अधिकार मिला।
वर्ष 2019 से प्रदेश में एक नई व्यवस्था लागू की गई, जिसके तहत मंत्रियों को केवल सिफारिश का अधिकार दिया गया। सिफारिशें मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में भेजी जाती थीं, जहां एचसीएस स्तर के अधिकारी बतौर ओएसडी तैनात होकर तबादलों का फैसला करते थे।
मंत्रियों की मौजूदा मांग
मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में बनी नई सरकार में मंत्रियों ने एक बार फिर ग्रुप डी के तबादलों के अधिकार देने की मांग की है।
- विधायक दल की बैठक में उठाया गया मुद्दा: कई मंत्रियों और विधायकों ने शिकायत की कि कर्मचारियों के तबादलों के लिए उन्हें मुख्यमंत्री से मंजूरी लेनी पड़ती है, जिससे काफी देरी होती है।
- मंत्रियों का कहना है कि ट्रांसफर प्रक्रिया में देरी के कारण जनता के बीच उनकी कार्यक्षमता पर सवाल उठाए जाते हैं।
- उन्होंने नाराजगी जताई कि सभी तबादलों का फैसला सीएमओ द्वारा किया जाता है, जिससे मंत्रियों और विधायकों की भूमिका सीमित हो जाती है।
मुख्यमंत्री का रुख
मंत्रियों की इस मांग पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने फिलहाल कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।
- सीएम इस मुद्दे पर पार्टी हाईकमान से चर्चा करेंगे।
- मंत्रियों के इस दबाव और सीएमओ की वर्तमान व्यवस्था के बीच संतुलन साधने की कोशिश की जा रही है।
हरियाणा में कर्मचारियों के तबादलों को लेकर मंत्रियों और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच अधिकारों का संतुलन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मंत्रियों का कहना है कि तबादलों के अधिकार न मिलने से उनकी स्थिति कमजोर होती है, जबकि सीएमओ ने निर्णय प्रक्रिया को केंद्रीकृत रखकर पारदर्शिता बनाए रखने की कोशिश की है। अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं और क्या मंत्रियों को उनकी मांग के अनुसार अधिकार दिए जाएंगे।