हरियाणा सरकार का अनुसूचित जाति सूची से तीन नाम हटाने का फैसला विवादों में, केंद्र कर सकता है हस्तक्षेप
Haryana News: हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (SC) सूची से तीन नाम हटाने के फैसले पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सरकार ने चूड़ा, भंगी और मोची को आपत्तिजनक और अप्रासंगिक बताकर हटाने का प्रस्ताव लाया था, लेकिन यह निर्णय अवैध माना जा रहा है, क्योंकि राज्य सरकार को ऐसी कोई शक्ति प्राप्त नहीं है।
2013 में हुआ था प्रशासनिक आदेश जारी
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा सरकार ने 2013 में एक प्रशासनिक आदेश जारी किया था, जिसमें फील्ड ऑफिसर्स और संबंधित संस्थानों को वाल्मीकि और चमार जाति के रूप में प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए गए थे। इस फैसले की वैधता अब सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि अनुच्छेद 341 के तहत राज्य सरकार अनुसूचित जाति सूची में बदलाव नहीं कर सकती।
क्या कहता है संविधान?
अनुच्छेद 341 (1) के अनुसार, अनुसूचित जातियों की सूची में कोई भी बदलाव करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार और संसद के पास है। किसी भी जाति को जोड़ने या हटाने के लिए संसद द्वारा विधेयक में संशोधन किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए केंद्र को गहन विचार-विमर्श करना पड़ता है, लेकिन हरियाणा सरकार ने 2013 में ही यह फैसला प्रशासनिक स्तर पर ले लिया था।
केंद्र सरकार ने 12 साल बाद लिया संज्ञान
केंद्र सरकार को 12 साल बाद इस फैसले की जानकारी मिली, जिससे अब राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या 2013 के निर्देशों के आधार पर इन समुदायों को वाल्मीकि और चमार जाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया या नहीं।
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर हरियाणा सरकार से पूरी रिपोर्ट मांग सकती है। यदि यह साबित हो जाता है कि 2013 के निर्देशों को लागू किया गया था, तो राज्य सरकार के खिलाफ संवैधानिक उल्लंघन का मामला बन सकता है।
क्या हो सकते हैं संभावित परिणाम?
- केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है – केंद्र राज्य सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांग सकती है और 2013 के आदेश को रद्द करने के निर्देशदे सकती है।
- कानूनी विवाद हो सकता है – यह मामला संविधान के उल्लंघन से जुड़ा है, इसलिए इस पर न्यायिक जांच हो सकती है।
- राजनीतिक विवाद गहराएगा – अनुसूचित जाति के अधिकारों से जुड़े इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेर सकता है।
दिल्ली में भी ऐसा फैसला हुआ था, जिसे केंद्र ने बदला
यह पहली बार नहीं है जब अनुसूचित जाति सूची में बदलाव को लेकर विवाद हुआ है। दिल्ली सरकार ने भी इसी तरह का फैसला लिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे रद्द करने का निर्देश दिया था। अब हरियाणा में भी केंद्र सरकार के दखल देने की संभावना बढ़ गई है।