हरियाणा में अनुसूचित जाति सूची से तीन जातियों के नाम हटाने की सिफारिश, सरकार ने 12 साल बाद केंद्र सरकार को लिखा पत्र



नया हरियाणा: हरियाणा में 12 साल बाद अनुसूचित जाति (SC) सूची में जातियों के नामों की समीक्षा की गई है। राज्य सरकार ने समीक्षा के बाद तीन जातियों के नाम सूची से हटाने की सिफारिश करते हुए एक पत्र केंद्र सरकार को भेजा है। सरकार का कहना है कि ये नाम आपत्तिजनक हैं और समाज में वर्चस्ववादी समूहों द्वारा गाली के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।

ये जातिगत नाम हटाने की मांग

अनुसूचित जाति सूची में क्रम संख्या 2 पर अंकित "चुरा" और "भंगी" तथा क्रम संख्या 9 पर अंकित "मोची" को हटाने का प्रस्ताव दिया गया है। सरकार का कहना है कि ये नाम न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि अपनी प्रासंगिकता भी खो चुके हैं।

सरकार की दलीलें

  1. जातिगत पूर्वाग्रह का हिस्सा
    सरकार ने कहा है कि ये नाम पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े हुए हैं, लेकिन अब ये जातिगत पूर्वाग्रह और भेदभाव के प्रतीक बन चुके हैं। इन्हें सार्वजनिक और आधिकारिक भाषाओं से हटाया जाना चाहिए, ताकि इन्हें नकारात्मक और उपहासपूर्ण संदर्भों में इस्तेमाल करने से रोका जा सके।

  2. संविधान संशोधन की जरूरत
    सरकार ने कहा कि इन नामों को हटाने के लिए केंद्र सरकार को संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना होगा। एससी और एसटी सूची में जातियों को शामिल या बाहर करने के लिए इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

केंद्र सरकार ने लिया संज्ञान

हरियाणा सरकार के सूत्रों के अनुसार, यह पत्र इसी महीने केंद्र को भेजा गया है। केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।

हुड्डा सरकार ने भी उठाया था मुद्दा

यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की सिफारिश की गई है। अगस्त 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में भी ऐसा ही पत्र केंद्र सरकार को लिखा गया था। हालांकि, उस पत्र का क्या हुआ, इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रयास

राज्य सरकार का यह कदम अनुसूचित जातियों के साथ होने वाले भेदभाव और अपमानजनक संदर्भों को समाप्त करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार का कहना है कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि समाज में जातिगत पूर्वाग्रह को खत्म करने का प्रयास है।

आगे की प्रक्रिया

अगर केंद्र सरकार इस सिफारिश को स्वीकार करती है, तो संविधान संशोधन के माध्यम से इन जातिगत नामों को हटाया जाएगा। इसके लिए संसद में चर्चा और स्वीकृति जरूरी होगी।

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